
नई दिल्ली/ढाका: बांग्लादेश की राजधानी ढाका में 21 जुलाई को हुए दर्दनाक विमान हादसे के बाद भारत ने त्वरित मानवीय सहायता की घोषणा की है। हादसे में अब तक 31 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 25 मासूम बच्चे शामिल हैं। भारत सरकार ने विशेष बर्न स्पेशलिस्ट डॉक्टरों और चिकित्सा उपकरणों से सुसज्जित एक मेडिकल टीम को ढाका भेजने का निर्णय लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस त्रासदी पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, “ढाका हादसे में बच्चों समेत जान गंवाने वालों के प्रति गहरी संवेदना। भारत बांग्लादेश के साथ इस संकट की घड़ी में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।”
कैसे हुआ हादसा?
बांग्लादेश वायुसेना का एक एफ-7 बीजीआई प्रशिक्षण विमान तकनीकी खराबी के चलते ढाका के दियाबारी क्षेत्र में स्थित माइलस्टोन स्कूल एंड कॉलेज की इमारत से टकरा गया। विमान के गिरते ही उसमें आग लग गई और आसपास की इमारतों में भी लपटें फैल गईं। हादसे में 12 वर्ष से कम उम्र के कई बच्चे बुरी तरह जल गए, जिनमें से अधिकांश को बचाया नहीं जा सका।
भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति की मिसाल
विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत द्वारा भेजी जा रही मेडिकल टीम बर्न यूनिट के अनुभवी डॉक्टरों और नर्सों से सुसज्जित होगी, जो दुर्घटनास्थल के घायलों का इलाज करेंगी। आवश्यकता पड़ने पर गंभीर रूप से झुलसे मरीजों को भारत लाने का भी विकल्प रखा गया है। यह कदम भारत की ‘पड़ोसी पहले’ नीति का स्पष्ट प्रतीक है, जिसमें मानवीय सहायता को प्राथमिकता दी जाती है।
घायलों की स्थिति और इलाज
ढाका के विभिन्न अस्पतालों में हादसे में घायल 165 लोग भर्ती हैं।
- 16 लोगों की मौत संयुक्त सैन्य अस्पताल में हुई।
- 10 मृतक नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी में दम तोड़ चुके हैं।
- 2 की मौत लुबाना जनरल अस्पताल में हुई।
- बाकी मरीज विभिन्न अस्पतालों में जीवन की जंग लड़ रहे हैं।
जनाक्रोश और प्रदर्शन
घटना के बाद ढाका के छात्रों और आम नागरिकों में गहरा आक्रोश देखा गया। माइलस्टोन स्कूल के छात्रों ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। उनकी मांग थी कि—
- मृतकों के नामों को सार्वजनिक किया जाए।
- परिवारों को उचित मुआवजा मिले।
- पुराने असुरक्षित सैन्य प्रशिक्षण विमानों का उपयोग बंद किया जाए।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रशासन की लापरवाही का नतीजा है।
मोदी-शेख हसीना के बीच बातचीत संभव
सूत्रों के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बीच इस मुद्दे पर फोन पर बातचीत की संभावना है। यह बातचीत घायलों की मदद, मुआवजे और भविष्य में सैन्य सुरक्षा प्रोटोकॉल की साझी समीक्षा के इर्द-गिर्द केंद्रित हो सकती है।
पड़ोसी से बढ़कर मददगार
इस संकट में भारत का त्वरित और संवेदनशील कदम, न केवल मानवीय मूल्यों की पुनः पुष्टि करता है, बल्कि दक्षिण एशिया में एक स्थिर, सहयोगपूर्ण और उत्तरदायी पड़ोसी के रूप में उसकी भूमिका को भी स्पष्ट करता है।
“भारत जब पड़ोसी की पीड़ा को अपनी पीड़ा समझता है, तब सीमाएं सिर्फ भौगोलिक नहीं, दिलों की होती हैं।”