
शिवपुरी (मध्य प्रदेश)| जिस भाई के साथ बचपन के दिन खेले, एक थाली में खाना खाया, त्योहारों पर गले लगा, उसी को मिटाने की सुपारी दी। सिर्फ इसलिए कि वह दुकान चला रहा था, नाम कमा रहा था और शायद उसी ‘सफलता’ की चुभन, सौतेली जलन बनकर जानलेवा साजिश में बदल गई। मध्य प्रदेश के शिवपुरी ज़िले में रिश्तों को शर्मसार कर देने वाली यह घटना सामने आई है, जहाँ एक युवक ने अपने चचेरे भाई की हत्या के लिए चार बदमाशों को 25 लाख रुपये की सुपारी दी। हत्या के प्रयास में 50 हजार रुपये की पहली किस्त भी दी गई। लेकिन किस्मत से भाई की जान बच गई और पूरी साजिश का पर्दाफाश हो गया।
रात 9:30 बजे हुआ हमला, गर्दन और पीठ पर मारे वार
17 जुलाई की रात शिवपुरी के मशहूर फेमस जूस सेंटर के मालिक कपिल मनोचा, रोज़ की तरह दुकान बंद करके स्कूटी से अपने घर लौट रहे थे। जैसे ही वे माधव चौक चौराहे के पास पहुँचे, तभी दो नकाबपोश बदमाशों ने उन्हें घेरकर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर दिया। कपिल की गर्दन और पीठ पर गंभीर चोटें आईं, लेकिन वह किसी तरह अपनी जान बचाने में कामयाब रहे। हमलावर अंधेरे का फायदा उठाकर भाग निकले। लहूलुहान कपिल ने तुरंत पुलिस को फोन किया, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया और पुलिस जांच में तेजी लाई गई।
CCTV फुटेज और तकनीकी निगरानी ने खोली गुत्थी
पुलिस ने घटनास्थल के आसपास के CCTV फुटेज खंगाले। इस दौरान दो संदिग्धों की पहचान आसिफ और अरबाज खान के रूप में हुई। छानबीन बढ़ी तो दो अन्य आरोपियों के नाम भी सामने आए। पुलिस ने सभी चारों को गिरफ़्तार किया और जब पूछताछ शुरू हुई, तो जो राज़ सामने आया, उसने हर किसी को दंग कर दिया।
खून के रिश्ते को बनाया सौदेबाज़ी का हिस्सा
गिरफ्तार आरोपियों ने बताया कि कपिल की हत्या की सुपारी किसी और ने नहीं, उनके ही चचेरे भाई गणेश मनोचा ने दी थी। 25 लाख रुपये में डील हुई और हमला करने से पहले दुकान और घर के बीच रेकी की गई। गणेश ने 50 हजार रुपये एडवांस दिए थे, ताकि वारदात को अंजाम दिया जा सके। लेकिन किस्मत ने कपिल का साथ दिया, और पुलिस की मुस्तैदी ने अपराधियों के मंसूबों को नाकाम कर दिया।
पुलिस ने तकनीकी साक्ष्यों से खोला मामला
एडिशनल एसपी संजीव मुले ने बताया कि एक विशेष टीम गठित कर तकनीकी जांच और निगरानी के जरिए आरोपियों की पहचान की गई। जल्द ही चारों को गिरफ़्तार कर लिया गया। इस खुलासे के बाद मामला पारिवारिक दुश्मनी की ओर मुड़ गया। गणेश मनोचा, जो खुद भी उसी परिवार का हिस्सा था, शायद कपिल की बढ़ती लोकप्रियता, आर्थिक सफलता या पारिवारिक वर्चस्व से असहज था। और उसी जलन ने उसे हैवान बना दिया।
क्या कहता है समाज, कहाँ है पारिवारिक नैतिकता?
यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि एक खतरनाक हकीकत है। सवाल यह उठता है कि क्या अब भाई-भाई के बीच का रिश्ता बाज़ार की डील बनकर रह गया है? जब खून के रिश्ते इतने सस्ते बिकने लगे, तो समाज का क्या होगा? वर्तमान समय में पारिवारिक संपत्ति, व्यवसायिक प्रतिस्पर्धा और वैयक्तिक ईगो अब भाईचारे को निगल रहे हैं। पहले ज़माने में भाई एक-दूसरे की ढाल बनते थे, आज वही पीठ में छुरा घोंपने पर उतारू हैं।
अब आगे क्या?
पुलिस ने चारों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है और मुख्य साजिशकर्ता गणेश मनोचा के खिलाफ IPC की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है। आगे की जांच चल रही है और जल्द ही कोर्ट में चालान पेश किया जाएगा। शिवपुरी की यह घटना सिर्फ एक हत्या की कोशिश नहीं, बल्कि एक सामाजिक संकट का संकेत है — जब भाई, भाई का दुश्मन बन जाता है, जब संबंधों में विश्वास की जगह शक और जलन ले लेता है, तब न समाज सुरक्षित रह सकता है, न कोई परिवार। आख़िर हमें यह सोचना होगा — हम किस दिशा में जा रहे हैं? और क्या हमारे रिश्ते, अब भी ‘रिश्ता’ कहलाने लायक हैं?