
हरिद्वार| श्रावण मास की शिवरात्रि और कांवड़ यात्रा के अंतिम चरण में धर्मनगरी हरिद्वार एक बार फिर भक्ति, श्रद्धा और आस्था के रंगों में डूब गई। महादेव के भक्तों की अपार भीड़ सुबह से ही पवित्र गंगा में डुबकी लगाने और भगवान शिव के प्रमुख मंदिरों में जलाभिषेक करने पहुंच रही है। सुबह 4:15 बजे से प्रारंभ हुए ब्रह्ममुहूर्त में ही हज़ारों श्रद्धालु गंगाजल से भरे कांवड़ के साथ मंदिरों की ओर रवाना हो गए। दक्षेश्वर महादेव, तिलभांडेश्वर, दुख भंजन, नीलेश्वर महादेव, कुंडी सोटा महादेव, गुप्तेश्वर, पशुपतिनाथ और बिल्केश्वर महादेव मंदिरों में गगनभेदी “हर हर महादेव” के उद्घोष से माहौल गूंज उठा।
हर कोने में शिवभक्ति की बयार
श्रद्धालु भगवान शिव को बेलपत्र, धतूरा, भस्म और फल चढ़ाकर आराधना कर रहे हैं। शिवालयों में पूजा-पाठ और मंत्रोच्चार से वातावरण दिव्य और पावन हो गया है। यह नजारा केवल धार्मिक क्रिया नहीं, बल्कि भक्त और भगवान के बीच श्रद्धा के अटूट संबंध का प्रमाण है।
शिवरात्रि के शुभ मुहूर्तों का विवरण:
- ब्रह्ममुहूर्त: प्रातः 4:15 से 4:56 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 2:44 से 3:39 बजे तक
- संध्या मुहूर्त: शाम 7:17 से 8:20 बजे तक
- चार पहर की पूजा:
- प्रथम: 7:27 PM – 10:07 PM
- द्वितीय: 10:07 PM – 12:46 AM
- तृतीय: 12:46 AM – 3:28 AM
- चतुर्थ: 3:28 AM – 6:07 AM (24 जुलाई)
श्रद्धा का जनसैलाब और सुरक्षा के इंतज़ाम
हरिद्वार के घाटों और मंदिर परिसरों में जनसैलाब की स्थिति बनी हुई है। अब तक करोड़ों शिवभक्त पवित्र गंगाजल भरकर अपने-अपने गंतव्यों की ओर रवाना हो चुके हैं। प्रशासन ने ट्रैफिक नियंत्रण, सुरक्षा और चिकित्सा सुविधा के पुख्ता इंतज़ाम किए हैं। क्षेत्रीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी लगातार निगरानी बनाए हुए हैं। एसपी हरिद्वार ने बताया कि CCTV कैमरों की मदद से भीड़ पर नजर रखी जा रही है और ड्रोन से ट्रैफिक मैनेजमेंट किया जा रहा है।
क्या कहते हैं विद्वान और ज्योतिषाचार्य
नारायण ज्योतिष संस्थान के आचार्य विकास जोशी बताते हैं, “श्रावण शिवरात्रि व्रत और जलाभिषेक से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। चतुर्दशी तिथि को किया गया जलाभिषेक शिव को अतिप्रिय होता है।” वहीं, पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने कहा, “महादेव विशेष अनुष्ठान की अपेक्षा नहीं करते, वह भाव के भूखे हैं, सच्चे मन से कोई भी पुकारे, वह उसे अपनी शरण में ले लेते हैं।”
श्रद्धा और ऊर्जा से लबरेज कांवड़ यात्री
हरिद्वार में कांवड़ यात्रा का दृश्य किसी आध्यात्मिक पर्व की तरह है। जयकारों से पुल, सड़क, घाट और मंदिर गूंज रहे हैं। भगवा वस्त्रधारी, हाथ में गंगाजल, कंधे पर कांवड़, और आंखों में भक्ति की चमक लिए शिवभक्त सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर बाबा भोलेनाथ के दर पर पहुंच रहे हैं।