
पटना/हाजीपुर। बिहार की राजधानी पटना में शुक्रवार रात कुख्यात अपराधियों ने जाने-माने उद्योगपति गोपाल खेमका की सिर में गोली मारकर हत्या कर दी। यह घटना गांधी मैदान थाना क्षेत्र में तब हुई जब वे किसी निजी काम से बाहर निकले थे। हत्या के बाद से बिहार में कानून-व्यवस्था को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। इस दोहरे हत्याकांड ने न केवल पूरे राज्य में सनसनी फैला दी है, बल्कि सात साल पहले हुई उनके बेटे गुंजन खेमका की हत्या को भी नए सिरे से जांच के दायरे में ला खड़ा किया है।
2018 में बेटे की हत्या, अब पिता की हत्या: क्या है 14 बीघा ज़मीन का रहस्य?
गोपाल खेमका के बेटे गुंजन खेमका की हत्या 18 दिसंबर 2018 को हाजीपुर इंडस्ट्रियल एरिया में दिनदहाड़े फैक्ट्री के गेट पर कर दी गई थी। बताया गया कि हत्या 14 बीघा जमीन को लेकर चल रहे विवाद से जुड़ी थी। परिजनों ने पहले ही हत्या की धमकियों की सूचना पुलिस को दी थी, लेकिन पुलिस ने उस समय गंभीरता नहीं दिखाई। मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। मुख्य शूटर अभिषेक कुमार उर्फ मस्तू की गिरफ्तारी भी हुई थी, लेकिन रिहाई के कुछ समय बाद पटना में उसकी भी हत्या कर दी गई।
अभिषेक का साथी चीकू भी बाद में पुलिस के हत्थे चढ़ा। परिजनों और स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस ने गुंजन हत्याकांड की जांच अधूरी छोड़ी और कई अन्य संदिग्धों को बचाने का प्रयास किया। अब गोपाल खेमका की हत्या ने यह सवाल और गहरा कर दिया है कि कहीं पिता की हत्या भी उसी जमीन विवाद की कड़ी तो नहीं?
गोपाल खेमका की हत्या: कानून व्यवस्था पर भारी सवाल
गोपाल खेमका की हत्या एक बार फिर बिहार में व्यवसायियों की सुरक्षा को लेकर चिंता खड़ी कर रही है। पिछले कुछ वर्षों में अपराधियों का मनोबल जिस प्रकार बढ़ा है, उसने पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था की गंभीर विफलता को उजागर कर दिया है। अब तक हत्या के पीछे के कारणों की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन पुलिस गुंजन खेमका हत्याकांड से जुड़ी हर कड़ी को फिर से खंगाल रही है। पटना पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम घटनास्थल से साक्ष्य जुटाने में जुटी है। आसपास के CCTV फुटेज खंगाले जा रहे हैं और पुराने मामलों के दस्तावेजों की दोबारा समीक्षा की जा रही है।
परिजनों का आरोप: “जांच को पहले भी दबाया गया, अब भी साजिश की बू”
परिजनों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पहले भी गुंजन के हत्यारों को राजनीतिक संरक्षण मिला था और अब गोपाल खेमका की हत्या से साफ हो गया है कि षड्यंत्र अभी खत्म नहीं हुआ। परिवार ने सीबीआई जांच की मांग की है।
राजनीतिक हलकों में हलचल, विपक्ष का हमला
इस हत्या को लेकर राजनीतिक बयानबाजी भी तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि बिहार अब अपराधियों का अड्डा बन गया है, जहां दिनदहाड़े व्यापारी और उद्योगपति मारे जा रहे हैं, और सरकार कानून व्यवस्था सुधारने में नाकाम है।
पुलिस की प्राथमिकता: जमीन विवाद से लेकर कारोबारी प्रतिद्वंद्विता तक हर पहलू की जांच
पुलिस फिलहाल हत्या के प्रथम दृष्टया कारणों में जमीन विवाद, पुरानी रंजिश और कारोबारी प्रतिस्पर्धा के कोणों को खंगाल रही है। एसएसपी पटना ने मीडिया को बताया कि “हर पहलू से जांच की जा रही है, अपराधियों को जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।”
निष्कर्ष: खेमका परिवार की त्रासदी बना कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान
गुंजन खेमका की हत्या से शुरू हुई यह त्रासदी अब उनके पिता की हत्या तक पहुंच गई है। यह दोहरा हत्याकांड सिर्फ एक परिवार की पीड़ा नहीं, बल्कि बिहार में सुरक्षा तंत्र की कमजोर पड़ती पकड़ की कहानी भी कह रहा है। आने वाले दिन यह तय करेंगे कि क्या पुलिस इस मामले को सच में न्याय तक पहुंचा पाएगी या यह भी सिर्फ एक और “फाइल क्लोज” कहानी बन कर रह जाएगी।