
गोपेश्वर (चमोली)। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित उमट्टा क्षेत्र में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर भूस्खलन का खतरा दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। लगातार हो रहे भूस्खलन के चलते हाईवे पर मलबा आने की घटनाएं बढ़ गई हैं, जिससे यातायात बार-बार बाधित हो रहा है और तीर्थयात्रियों सहित आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
भूस्खलन से हाईवे पर भारी मलबा, यातायात हुआ प्रभावित
शुक्रवार को एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग एवं ढांचागत विकास निगम) द्वारा शाम साढ़े चार से साढ़े छह बजे तक दो घंटे तक हाईवे बंद रखकर मलबा हटाने का कार्य किया गया। हालांकि, हिल साइड पर अभी भी भारी मात्रा में मलबा जमा है, जिससे दोबारा भूस्खलन होने और मार्ग बाधित होने की आशंका बनी हुई है।
शनिवार को होगी निरीक्षण टीम की बैठक
परिस्थिति की गंभीरता को देखते हुए शनिवार को एनएचआईडीसीएल और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम उमट्टा क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण करेगी। निरीक्षण के बाद वहां पर Slope Protection और मलबा ट्रीटमेंट का कार्य शुरू किया जाएगा।
जिलाधिकारी ने दिए सख्त निर्देश
चमोली के जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने बताया कि हाईवे को पूरी तरह से सुचारु करने के लिए एनएचआईडीसीएल के अधिकारियों से बातचीत की जा रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मलबा हटाने के लिए भविष्य में भी कुछ समय के लिए यातायात डायवर्ट किया जा सकता है। इस दौरान यह सुनिश्चित किया जाएगा कि यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो।
भूस्खलन के मुहाने पर बदरीश होटल, तीर्थयात्रियों के ठहराव पर खतरा
सबसे अधिक खतरे की स्थिति उमट्टा में स्थित बदरीश होटल पर बनी हुई है, जो भूस्खलन के ठीक मुहाने पर है। तीन दिन पहले हुए भूस्खलन में होटल के दोनों ओर मलबा जमा हो गया था। यदि पहाड़ी से बोल्डर और मलबा फिर से गिरा, तो होटल को गंभीर नुकसान हो सकता है। डीएम ने एसडीएम को भूस्खलन क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण करने और सुरक्षा उपायों की रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं। यदि खतरा और बढ़ा तो होटल में तीर्थयात्रियों के ठहरने पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
यात्रियों के लिए चेतावनी और वैकल्पिक मार्ग की तैयारी
प्रशासन ने यात्रियों और तीर्थयात्रियों से अपील की है कि वे यात्रा के दौरान मौसम और मार्ग की जानकारी लेकर ही यात्रा करें। साथ ही, आवश्यकतानुसार वैकल्पिक मार्गों की तैयारी भी की जा रही है। बदरीनाथ यात्रा मार्ग पर यह भूस्खलन न केवल पर्यटन और तीर्थयात्रा को बाधित कर रहा है, बल्कि क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय निवासियों और व्यवसायियों के लिए भी चिंता का विषय बन गया है। यदि समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो यह क्षेत्र भविष्य में अधिक बड़े संकट का केंद्र बन सकता है।