
थराली (चमोली)। उत्तराखंड के चमोली जिले में लगातार बारिश के कारण जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है। थराली ब्लॉक के अंतर्गत सोल क्षेत्र का सबसे बड़ा गांव रतगांव पिछले 12 दिनों से बाहरी दुनिया से कटा हुआ है। सड़क संपर्क टूटने के चलते गांव के करीब चार हजार निवासियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, खासतौर पर गर्भवती महिलाओं, बीमारों और बुजुर्गों के लिए हालात चिंताजनक बने हुए हैं।
रतगांव से होकर गुजरने वाले ढाढ़रबगड़ के घटगाड़ गदेरे में बनी अस्थायी पुलिया 12 दिन पहले बारिश में बह गई, जिससे गांव का आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया। लोक निर्माण विभाग द्वारा बैली ब्रिज का निर्माण कार्य शुरू किया गया है, लेकिन जब तक यह तैयार नहीं होता, ग्रामीणों को राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।
स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह बाधित
गांव में 20 से अधिक बुजुर्ग गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं और 9 गर्भवती महिलाएं हैं, जिनमें से कई को नियमित स्वास्थ्य जांच और टीकाकरण की आवश्यकता है। गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण हर महीने के पहले शनिवार को होता है, लेकिन इस बार स्वास्थ्य कर्मियों को 10 किलोमीटर जंगल के रास्ते पैदल चलकर गांव तक पहुंचना पड़ रहा है।
एक महिला को थराली भेजकर सुरक्षित प्रसव कराया गया
गांव की आशा कार्यकर्ता सुनीता देवी के अनुसार, जुलाई में दो महिलाओं का प्रसव संभावित था। इनमें से एक महिला को तीन दिन पहले परामर्श के आधार पर सुरक्षित प्रसव के लिए थराली भेजा गया, जहां शुक्रवार को उनका सुरक्षित प्रसव हुआ। दूसरी गर्भवती महिला को भी जल्द सुरक्षित स्थान पर भेजने की कोशिश की जा रही है।
राशन उपलब्ध, लेकिन हालात बिगड़ने की आशंका
फिलहाल गांव में राशन की कमी नहीं है, लेकिन यदि हालात ऐसे ही बने रहे तो जल्द ही आवश्यक वस्तुओं की कमी हो सकती है। ग्रामीणों ने प्रशासन से तात्कालिक रूप से बैली ब्रिज के निर्माण में तेजी लाने और आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं उपलब्ध कराने की मांग की है।
ग्रामीणों की मांग: जल्द बने पुल, बहाल हो संपर्क
ग्रामीणों का कहना है कि सड़क और पुल के अभाव में उनका जीवन थम गया है। बच्चों का स्कूल जाना बंद हो गया है, बीमार लोग अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं और गर्भवती महिलाओं की जान जोखिम में है। सरकार और प्रशासन से आपदा प्रबंधन के बेहतर इंतजाम और सड़क संपर्क बहाल करने की प्राथमिकता देने की गुहार लगाई गई है।
रतगांव की यह स्थिति राज्य के दूरदराज के पहाड़ी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर कमजोरियों को उजागर करती है। यदि शीघ्र प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई तो यह संकट और गहरा सकता है।