
गाज़ियाबाद। पृथ्वी दिवस के अवसर पर गाज़ियाबाद के वैशाली क्षेत्र में प्रकृति के प्रति समर्पण और पर्यावरणीय चेतना का अनुपम उदाहरण देखने को मिला। स्थानीय निवासियों एवं पर्यावरण प्रेमियों ने मिलकर एक उत्साही वृक्षारोपण अभियान में भाग लिया, जिसमें हरियाली के प्रति प्रेम और पृथ्वी के संरक्षण का संदेश पूरे समुदाय में गूंज उठा। सुबह की ताजगी से भरी हवाओं में आशा और संकल्प की सुगंध तैर रही थी जब चंद्रशेखर आज़ाद पार्क से लेकर चित्रगुप्त पार्क, सेक्टर-4 वैशाली तक नीम, अशोक, सहजन और अन्य देशी प्रजातियों के सैकड़ों पौधे स्नेहपूर्वक रोपे गए।
इस हरित पहल का नेतृत्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. प्रशांत सिन्हा ने किया, जिन्होंने पर्यावरणीय चेतना को आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ते हुए प्रतिभागियों को वैदिक श्लोकों का संगीतमय उच्चारण कराया। इन श्लोकों ने प्रकृति और मानव जीवन के बीच के गहरे रिश्ते की अनुभूति कराई। कार्यक्रम को सांस्कृतिक समृद्धि प्रदान करते हुए विख्यात साहित्यकार डॉ. बीरबल झा ने भारतीय परंपरा में प्रकृति के प्रति सम्मान और श्रद्धा पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “हम पेड़ केवल लगाते नहीं, उन्हें पूजते भी हैं। पीपल का वृक्ष, जो प्राकृतिक ऑक्सीजन का स्रोत है, और तुलसी का पौधा, जो प्रत्येक हिन्दू घर में पाया जाता है—ये केवल वनस्पति नहीं, हमारे परिवार के दिव्य सदस्य हैं।”
डॉ. झा ने मिथिला क्षेत्र की लोक परंपरा ‘जूड़ी शीतल’ का भी उल्लेख किया, जिसमें पेड़ों की जड़ों में जल अर्पित कर प्रकृति की आराधना की जाती है। उन्होंने कहा, “यह केवल एक पर्व नहीं, संतुलन के लिए की जाने वाली सामूहिक प्रार्थना है, जिसे अप्रैल माह में गर्मी शुरू होने से पूर्व पूरे उत्साह से मनाया जाता है।” देखते ही देखते यह वृक्षारोपण कार्यक्रम एक सामुदायिक उत्सव का रूप ले चुका था। दर्जनों स्थानीय नागरिकों की सहभागिता ने यह सिद्ध कर दिया कि जब लोग किसी नेक उद्देश्य से एकत्र होते हैं, तो हर लगाया गया पौधा आशा, विश्वास और भविष्य की समृद्धि का प्रतीक बन जाता है।
इस अवसर पर कई प्रतिष्ठित व्यक्तित्वों ने भी पौधारोपण कर प्रेरणादायक संदेश दिए। इनमें शामिल थे: अजीत ठाकुर (संस्थापक, डेल्ट्रॉन मैन्युफैक्चरिंग सॉल्यूशन्स प्रा. लि.), आनंद वर्मा, विशाल रस्तोगी, धनंजय चौरसिया, कैलाश उपाध्याय, भुवनेश्वर सिंह, प्रेस्टन जोहान्स, राजू चोपड़ा, संदीप खुराना, अशोक गोयल, राजीव गुप्ता, सामाजिक कार्यकर्ता सुनील वैद्य, हरीश श्रीवास्तव, ए.के. गांगुली, वी.बी. सक्सेना, चार्टर्ड अकाउंटेंट पी.के. जिंदल, एवं प्रो. सुधीर सक्सेना। जैसे ही अंतिम पौधा धरती से जुड़ा और श्लोकों की ध्वनि प्रातः कालीन वायु में विलीन हुई, एक स्पष्ट संदेश सबके मन में अंकित हो गया—
हम आज जो पेड़ लगाते हैं, वही कल के लिए हमारा वचन हैं.