देहरादून। देहरादून के काबुल हाउस में अंदर जाने पर घरों के बाहर सामान बिखरा पड़ा है। एसी, फ्रिज से लेकर तमाम कीमती सामान सड़क पर कबाड़ की तरह रखा हुआ है। कुछ लोग अपना सामान ट्रैक्टर ट्रालियों में लादकर ले जा रहे हैं, जबकि कई लोगों का सामान सड़क पर ही बिखरा है। मकान के आगे बिखरे सामान को सौरभ जोशी ठीक से लगा रहे हैं। अब कहां जाएंगे..पूछने पर उनकी आंखें नम हो जाती हैं। वह अंदर ले जाते हैं, जहां एक अंधेरे कमरे में करीब 80 वर्ष की शांति जोशी पलंग पर लेटी हुईं हैं।
वह लड़खड़ाती जुबान और भीगी आंखों से काबुल हाउस में आने की पूरी कहानी बताती हैं। कहती हैं, वह पेशावर की रहने वाली थीं। देश का बंटवारा हुआ तो दंगा भड़क उठा। उनका पूरा परिवार उनकी आंखों के सामने चाकुओं से गोदकर मार दिया गया। वह बमुश्किल बचकर भागीं। तब वह सात-आठ साल की थीं। उनका पूरा परिवार उनकी आंखों के सामने खत्म हो गया। वह वाहा कैंप पंजाब में रोकी गईं। इसके बाद जालंधर में शरणार्थी शिविर में रहीं।
उनके पाकिस्तान के पड़ोसी को सूचना हुई तो वह उन्हें देहरादून ले आए। उन्होंने अपने बरामदे में उन्हें जगह दी। तब यहां काबुल हाउस में बापू वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर संचालित होता था। उन्होंने भी ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण लिया और काम किया। आईटीआई प्राचार्य लक्ष्मी कुकरेती ने यहां उन्हें रहने का ठिकाना दे दिया। 1966 से अब तक यहीं पर रह रही हैं। उन्होंने कोई धोखाधड़ी नहीं की है। उनकी बिजली और पानी काट दिया गया। सुबह से वह लोग भूखे प्यासे परेशान हैं। अब क्या होगा..कुछ पता नहीं।
ओमवती का परिवार नगर निगम में सफाई का काम करता है। उनके घर पर भी सील लगा दी गई है। परिवार के पांच भाई, उनका पूरा परिवार और चार छोटे बच्चे सड़क पर बैठे हैं। वह कहती हैं कि उनकी शादी राजमोहन से हुई थी तो वह इसी घर में आई थीं। इस मकान में उनके दादा-परदादा करीब 70 साल पूर्व रहने आए थे। उनके ददिया ससुर साकी और उनकी पत्नी सुखदेई को यह मकान रहने के लिए दिया गया था।
कहती हैं, इसी महीने बेटी की शादी है। पूरी तैयारिंया कर रखी हैं। अब छत की चिंता करें या बेटी का विवाह। उनकी मांग है कि घर के बदले घर दिया जाए। सरकारी अफसरों के रवैये पर आक्रोश जताकर कहा कि टीम के सदस्य शौचालय तक बंद कर गए। सुबह से घर की महिलाएं और बच्चे भूखे पेट हैं। वह शौचालय जाने तक को मोहताज हैं।
बीना कुमारी सेवायोजन कार्यालय में कार्यरत थीं। कहती हैं कि 17 को मकान खाली करने के लिए जारी नोटिस 25 को तामील कराया गया, इस बीच त्योहार आ गए। वह लोग कोर्ट भी नहीं जा सके। सुबह से ही टीम के सदस्य आ गए। उन्होंने आरोप लगाया कि तहसीलदार मो. शोएब ने महिलाओं से अभद्रता की। बीमार बच्चे को भी नहीं बख्शा।
आरोप लगाकर कहा कि उन लोगों के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है, जैसे वह भूमाफिया हैं। कहा, उन्होंने किसी का घर नहीं कब्जाया। उनके परिवार के लोग 70 साल से इस मकान में रहते थे। उधर तहसीलदार मो. शोएब ने कहा, सरकारी जमीन पर कब्जा लेना था, इसलिए कई बार सख्ती तो करनी ही पड़ती है।