प्रयागराज। शंकरगढ़ से अगवा किए गए मासूम शुभ के हत्याराें ने बर्बरता की हदें पार कर दी थीं। जंगल में ले जाने से पहले उन्होंने उसे बेरहमी से पीटा। इसके बाद मुंह में कपड़ा ठूंसकर हाथ-पैर बांध दिए। फिर ईंट-पत्थर से सिर कूंच कर उसे मार डाला। जंगल में पहुंचने के बाद शव देखा तो पुलिसकर्मी भी स्तब्ध रह गए।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, आरोपी गणेश को लेकर पुलिस रात में ही हरवारी जंगल में पहुंची। चित्रकूट जनपद के बरगढ़ थाना क्षेत्र में स्थित यह जंगल काफी घना है। करीब दो किमी भीतर जाने के बाद एक पेड़ के नीचे शुभ का शव मिला। उसके हाथ-पांव पीछे की ओर बंधे हुए थे। साथ ही मुंह में कपड़ा ठुंसा हुआ था। सिर के पिछले हिस्से से काफी खून बहा था।
गहनता से छानबीन की गई तो सिर के पिछले हिस्से में गहरे जख्म के कई निशान थे जिससे पता चला कि ईंट-पत्थर से कूंचा गया था। इसके अलावा कान से भी खून बहता मिला। माना जा रहा है कि हत्यारों ने ईंट-पत्थर से सिर कूंचने के साथ ही उसके कान पर भी चोट पहुंचाई। उसके हाथ-पांव अकड़े हुए थे। मासूम जमीन पर औंधे मुंह पड़ा था। यह देख पुलिसकर्मी भी स्तब्ध रह गए।
खरगोश दिखाने के बहाने ले गए साथपुलिस अफसरों के मुताबिक, हत्यारोपियों ने पूछताछ में बताया कि शाम चार बजे के करीब सुखदेव भतीजे गणेश को साथ लेकर व्यापारी की दुकान के पास पहुंचा था। वहां शुभ को दोनों ने अपने पास बुलाया और कहा कि वह जंगल की ओर जा रहे हैं। कहा कि हमारे साथ चलो तो तुम्हें खरगोश दिला देंगे।
ड्राइवर का भाई होने व घर में आने-जाने के कारण शुभ सुखदेव काे पहचानता था, ऐसे में वह उसके साथ जाने को राजी हो गया। दोनों उसे लेकर चल दिए जहां रास्ते में एक अन्य आरोपी संजय मिला। इसके बाद तीनों उसे लेकर जंगल में पहुंच गए।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि जंगल में पहुंचने के बाद सुखदेव ने व्यापारी के पास फोनकर फिरौती मांगी। शाम करीब सात बजे पहले दो बार कॉल की लेकिन व्यापारी ने फोन नहीं उठाया। रात करीब आठ बजे व्यापारी ने कॉल बैक किया तो उसने फिरौती की रकम मांगी। कहा कि बेटे को सही सलामत चाहते हो तो 15 लाख रुपये लेकर बरगढ़ जंगल में आ जाओ।
इतना सुनते ही व्यापारी घबरा गया और फोन काट दिया। फिर करीब आधे घंटे तक कोई बात नहीं हुई, जिस पर वह व उसके साथी डर गए। उन्हें लगा कि व्यापारी ने उनकी आवाज पहचान ली है और अब वह पकड़े जाएंगे। इसके बाद ही उन्होंने शुभ की हत्या कर दी। उधर पुलिस के पास पहुंचने के बाद पिता ने कई बार फोन किया लेकिन अपहर्ताओं ने कॉल नहीं रिसीव की।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, फिरौती की रकम के लिए कॉल आने के दौरान ही व्यापारी को आवाज जानी-पहचानी लगी थी। उसने पुलिस को यह बात बताई भी थी। पुलिस ने उस नंबर को सर्विलांस पर लगाया तो सुखदेव का नाम सामने आया। पूछताछ में व्यापारी ने बताया कि वह उसके ड्राइवर का भाई है। जो अक्सर अपने भतीजे गणेश के साथ आता था। इसके बाद ही पुलिस ने गणेश को पकड़ा और फिर दोनों अन्य हत्यारोपियों काे भी दबोच लिया।
मामले में पुलिस की पांच टीमें लगातार आठ घंटे तक ऑपरेशन में लगी रहीं तब जाकर घटना का खुलासा और हत्यारोपियों की गिरफ्तारी हुई। डीसीपी यमुनानगर अभिनव त्यागी इस ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे थे। एसीपी बारा संतोष कुमार सिंह के नेतृत्व में दो, जबकि एसओजी यमुनापार प्रभारी रणजीत सिंह, एसओ मेजा राजेश कुमार उपाध्याय, एसओ शंकरगढ़ मनोज कुमार सिंह के नेतृत्व में एक-एक टीमें लगी थीं।
एसीपी के नेतृत्व में लगी टीमों ने जहां कुछ ही घंटों में आरोपियों को चिह्नित किया, वहीं अन्य तीनों टीमों ने उन्हें गिरफ्तार करने में सफलता पाई। इससे पहले पुलिस आयुक्त रमित शर्मा खुद पर्यवेक्षण में लगे रहे। वह लगातार खुलासे में लगी टीमों को दिशा-निर्देश देते रहे। मुठभेड़ के बाद सुबह पुलिस आयुक्त घटनास्थल पर भी पहुंचे और निरीक्षण किया।
शुभ मां-बाप का इकलौता बेटा था। उसकी एक छोटी बहन ट्विंकल है। शुभ सातवीं कक्षा में पढ़ता था। समय मिलने पर पिता के साथ दुकान पर भी चला जाता था। पिता ने पुलिस को यह भी बताया कि शनिवार को शाम चार बजे के करीब दुकान का सामान आया था। वह सामान उतरवाने लगे थे जबकि बेटा दुकान पर ही था। सामान उतरवाकर वह वापस आए तो बेटा नहीं मिला। उन्होंने सोचा कि कुछ देर में आ जाएगा। बहुत देर होने लगी तो उन्हें चिंता हुई। इसके बाद ही खोजबीन शुरू की गई।