नई दिल्ली। देश में जैसे ही मानसून दस्तक देता है वैसे ही कई राज्यों में स्थिति भी बिगड़ने लग जाती है। मानसून आने के बाद तेज बारिश के चलते कई राज्यों में बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं। जिसके कारण वहां रहने वाले लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। भारी बारिश होने के कारण किसानों को भी बहुत नुकसान झेलना पड़ता है।
वहीं, अगर हम बाढ़ की बात करते हैं तो असम मानसून में होने वाली बारिश के बाद बाढ़ के कारण सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। हर साल मानसून के दौरान असम में भारी बारिश दर्ज की जाती है। जिसके कारण लाखों लोग प्रभावित होते हैं। असम में पूरे देश में सबसे ज्यादा मानसूनी बारिश होने वाले इलाके भी शामिल हैं। इस साल भी असम में मानसून दस्तक दे चुका है और प्रदेश के लगभग 18 जिले भीषण बाढ़ की चपेट में हैं। इन इलाकों में आई बाढ़ के कारण 30 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित है और अपने-अपने घरों को छोड़ने के लिए भी मजबूर हो रहे हैं।
लेकिन एक सवाल अभी भी लोगों के जहन में उठता है कि आखिर प्रदेश में ऐसा क्या है जो हर साल असम में भारी बारिश होने के बाद बाढ़ आ जाती है। कई विशेषज्ञ इसके पीछे मानसून या फिर असम की भौगोलिक स्थिति भी बताते रहे हैं। अभी तो ठीक से मानसून की शुरुआत भी नहीं हो पाई है और असम में अभी से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, भारतीय मौसम विभाग ने आने वाले समय में तेज बारिश और तूफान का भी पूर्वानुमान लगाया है। मौसम विभाग ने राज्य के 7 जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इन जिलों में भारी से बहुत भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है।
किसी भी अन्य प्रदेश के लिए यह बहुत ही असमान्य बात होती है लेकिन असम के लिए यह बहुत ही सामान्य बात है। असम में हर साल लाखों लोग बारिश के कारण आई बाढ़ से प्रभावित होते हैं। असम के 12 जिलों के 5 लाख लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। राज्य के कई हिस्सों में लगातार हो रही बारिश से कई नए इलाके जलमग्न हो गए हैं। असम में बाढ़ के कारण इस साल में अब तक 2 लोगों की मौतें दर्ज की गई है।
बता दें कि 16 जिलों और तीन उप-मंडलों (स्वतंत्र) में कुल मिलाकर 4.88 लाख लोग वर्तमान में बाढ़ से जूझ रहे हैं। ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियां जैसे मानस और पुथिमारी नदियां खतरे के स्तर से ऊपर बह रही हैं। राज्य भर से सड़कों और पुलों को नुकसान पहुंचा है। मौसम विभाग ने कई इलाकों में ‘येलो’ अलर्ट जारी किया है, जिसमें लोगों से सतर्क रहने और राज्य के कुछ हिस्सों में भारी बारिश और तूफान के बारे में अपडेट रहने को कहा गया है।
असम में हर साल मई से सितंबर तक बाढ़ की तीन-चार लहरें देखने को मिलती हैं। राष्ट्रीय बाढ़ आयोग (RBA) के अनुसार, राज्य के 78,523 वर्ग किमी क्षेत्र का लगभग 40% हिस्सा बाढ़ से ग्रसित है, जो देश के बाकी हिस्सों की तुलना में लगभग चार गुना अधिक है। विशेषज्ञ 1950 के भीषण भूकंप को राज्य में बार-बार आने वाली बाढ़ की स्थिति से जोड़ कर भी देखते हैं। भूकंप के बाद ब्रह्मपुत्र की दिशा और प्रकृति में भारी बदलाव आया है।
ब्रह्मपुत्र बेसिन में बहुत अधिक तीव्रता वाली प्री-मॉनसून और मॉनसून वर्षा देखी जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि नदी में मानसूनी प्रवाह आम तौर पर कम अवधि के प्रवाह का 10 गुना होता है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2013 से 2022 के बीच राज्य में कुल 838 लोगों की मौत हुई है, जिनमें से 181 लोगों की जान पिछले साल गई, जो एक साल में बाढ़ से मरने वालों की सबसे ज्यादा संख्या है।