
देहरादून: दिवाली का त्यौहार जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे अग्निशमन विभाग के लिए चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं। हर साल दिवाली की रात शहर में आग की घटनाओं में अचानक इजाफा होता है, जिससे निपटने में विभाग के मौजूदा संसाधन अक्सर नाकाफी साबित होते हैं। इस बार भी स्थिति कुछ अलग नहीं है। पूरे जिले में फायर टेंडरों की भारी कमी है, जिसके कारण विभाग ने पुलिस के वाटर कैनन वाहनों को भी अपने बेड़े में शामिल किया है।
अग्निशमन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, सामान्य दिनों में देहरादून जिले में रोजाना दो से चार आग लगने की घटनाएं होती हैं। लेकिन पिछली दिवाली की रात विभाग को 39 अलग-अलग आगजनी कॉल्स मिली थीं। इनमें से अधिकांश घटनाएं आतिशबाजी, चाइनीज लाइट्स और विद्युत ओवरलोडिंग के कारण हुई थीं। इस बार भी विभाग को ऐसी ही स्थिति की आशंका है, इसलिए तैयारी को लेकर सतर्कता बरती जा रही है।
मुख्य अग्निशमन अधिकारी अभिनव त्यागी ने बताया कि दिवाली के दौरान कॉल्स आमतौर पर शाम आठ बजे से सुबह तक आती हैं। ज्यादातर आगजनी की घटनाएं घरों की छतों, बाजारों और संकरी गलियों में होती हैं, जहां दमकल वाहनों के पहुंचने में दिक्कत होती है।
🚒 विभाग के पास सिर्फ सात स्थायी फायर टेंडर
वर्तमान में अग्निशमन विभाग के पास सात स्थायी फायर टेंडर ही हैं। इनमें—
- तीन मध्यम श्रेणी के टेंडर,
- एक फोम टेंडर,
- एक मल्टीपर्पज टेंडर,
- दो मिनी हाई-प्रेशर टेंडर शामिल हैं।
इनके अलावा विभाग के पास दो मोटरसाइकिल बैकपैक टेंडर भी हैं, जो संकरी गलियों में आग बुझाने के लिए उपयोग किए जाते हैं। दिवाली के मद्देनजर विभाग ने पुलिस के दो वाटर कैनन भी फायर बेड़े में शामिल किए हैं।
पुलिस के वाटर कैनन आमतौर पर प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं, लेकिन दिवाली के समय इन्हें अस्थायी रूप से अग्निशमन कार्यों में लगाया जाएगा। इन वाहनों में 5000 लीटर तक पानी ले जाने की क्षमता है और इन पर होज रील लगाई गई है, जिससे यह आग बुझाने में कारगर सिद्ध हो सकते हैं।
💧 हाइड्रेंट व्यवस्था पर विशेष जोर
देहरादून में अभी भी अंग्रेजों के जमाने की हाइड्रेंट प्रणाली काम कर रही है। हालांकि, सड़क विस्तार और नई इमारतों के निर्माण के चलते कई पुराने हाइड्रेंट निष्क्रिय हो चुके हैं। विभाग लगातार इन्हें पुनर्जीवित करने और नए हाइड्रेंट लगाने का कार्य कर रहा है।
मुख्य अग्निशमन अधिकारी के अनुसार, जिले में इस समय 81 हाइड्रेंट सक्रिय अवस्था में हैं, जबकि पिछले वर्ष तक यह संख्या 67 थी। यानी एक साल में 14 नए हाइड्रेंट जोड़े गए हैं।
शहरवार हाइड्रेंट विवरण:
- देहरादून – 23
- विकासनगर – 23
- ऋषिकेश – 19
- मसूरी – 12
- सेलाकुई – 2
- डोइवाला – 2
ये सभी हाइड्रेंट 22 से अधिक ओवरहेड वाटर टैंकों से जुड़े हैं। हाल ही में विभाग ने इन सभी की जांच पूरी कर ली है। साथ ही, जल संस्थान को पत्र लिखकर इन टैंकों से पानी की आपूर्ति सुचारु रखने का अनुरोध किया गया है।
🧨 पटाखों की बिक्री पर सतर्कता, सुरक्षा उपायों की समीक्षा
इस बार दिवाली पर पटाखों की बिक्री और सुरक्षा व्यवस्थाओं को लेकर विभाग और प्रशासन के बीच विशेष बैठक होगी। इसमें यह तय किया जाएगा कि जिले में किन-किन स्थानों पर पटाखों की दुकानें लगाई जाएंगी और वहां क्या सुरक्षा उपाय किए जाएंगे।
दिवाली के दौरान फायर टेंडरों को आठ प्रमुख स्थानों पर तैनात रखने की योजना बनाई गई है—
- धर्मपुर
- पटेलनगर
- सहस्रधारा क्रॉसिंग
- दिलराम चौक
- घंटाघर
- कोतवाली
- प्रेमनगर
- आईएसबीटी क्षेत्र
इन इलाकों में फायर स्टेशनों और आपातकालीन वाहनों को 24 घंटे अलर्ट पर रखा जाएगा।
👨🚒 जागरूकता अभियान और बचाव प्रशिक्षण
अग्निशमन विभाग इस बार केवल तैयारी तक सीमित नहीं रहना चाहता, बल्कि जन-जागरूकता अभियान भी शुरू करने जा रहा है। इसके तहत नुक्कड़ नाटक, बाजारों में प्रचार कार्यक्रम और शिक्षण संस्थानों में प्रदर्शन के माध्यम से लोगों को आग से बचाव के उपाय सिखाए जाएंगे।
मुख्य अग्निशमन अधिकारी ने बताया कि “लोगों में यह समझ जरूरी है कि अधिकांश आगजनी घटनाएं लापरवाही से होती हैं। अगर पटाखों का सही इस्तेमाल किया जाए और विद्युत उपकरणों की जांच पहले से कर ली जाए तो बड़ी घटनाओं से बचा जा सकता है।”
⚙️ दूसरे संस्थानों की फायर सर्विस से भी ली जाएगी मदद
देहरादून के फायर बेड़े को संकट की घड़ी में ओएनजीसी, सर्वे ऑफ इंडिया, ऑर्डिनेंस फैक्टरी, गेल और अन्य केंद्रीय संस्थानों की फायर सर्विस यूनिटों से सहयोग मिलता है। बड़े अग्निकांड की स्थिति में उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे जिलों से भी अतिरिक्त फायर टेंडर बुलाए जाते हैं।
हाल ही में जिले को दो नए फायर टेंडर मिले हैं — एक 7000 लीटर क्षमता वाला, और दूसरा बहुउद्देशीय टेंडर। इसके अलावा नए उपकरणों और फायर व्हीकल्स की खरीद प्रक्रिया चल रही है, जो मार्च या अप्रैल 2026 तक पूरी हो जाएगी।