
देहरादून | उत्तराखंड सरकार राज्य में उच्च शिक्षा के क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए दो नए विश्वविद्यालय खोलने की तैयारी कर रही है। इनमें एक विश्वविद्यालय कौशल आधारित शिक्षा (Skill-Based University) पर केंद्रित होगा, जबकि दूसरा नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालयों और अन्य बेसहारा बच्चों के लिए आवासीय विश्वविद्यालय (Residential University) के रूप में स्थापित किया जाएगा। इस संबंध में प्रस्ताव राज्य कैबिनेट की अगली बैठक में रखा जाएगा।
राज्य में मौजूदा उच्च शिक्षा ढांचा
वर्तमान में उत्तराखंड में पांच राज्य विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं, जिनसे 118 सरकारी महाविद्यालय संबद्ध हैं। इसके अलावा राज्य में 26 निजी विश्वविद्यालय, 244 निजी कॉलेज, और 21 अशासकीय कॉलेज कार्यरत हैं। साथ ही तीन तकनीकी संस्थान और एक आयुर्वेद चिकित्सा संस्थान भी मौजूद हैं। अब सरकार की योजना इन दो नए विश्वविद्यालयों को जोड़कर उच्च शिक्षा के दायरे को और विस्तृत करने की है।
कौशल आधारित विश्वविद्यालय से युवाओं को रोजगार के अवसर
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि प्रस्तावित कौशल आधारित विश्वविद्यालय में 25 व्यावसायिक और तकनीकी पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। इसका उद्देश्य युवाओं को रोजगार उन्मुख शिक्षा प्रदान करना और उन्हें उद्योगों की जरूरतों के अनुरूप तैयार करना है। मंत्री ने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी की चुनौती को देखते हुए अब शिक्षा प्रणाली को पारंपरिक डिग्री से आगे बढ़ाकर कौशल विकास और व्यावहारिक प्रशिक्षण की दिशा में ले जाया जा रहा है।
आवासीय विश्वविद्यालय: बेसहारा और आवासीय विद्यालयों के बच्चों के लिए नई राह
दूसरा विश्वविद्यालय नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए होगा। यह विश्वविद्यालय विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर, अनाथ और बेसहारा बच्चों को उच्च शिक्षा के अवसर देने के उद्देश्य से स्थापित किया जाएगा। इस विश्वविद्यालय में उन्हें न केवल शिक्षा बल्कि आवास, भोजन और समग्र विकास के अवसर भी मिलेंगे।
माध्यमिक शिक्षा विभाग की पहल पर तैयार इस योजना से प्रदेश के सैकड़ों बच्चे लाभान्वित होंगे, जिन्हें सामान्यतः उच्च शिक्षा तक पहुंचने में कठिनाई होती है।
सरकार की उच्च शिक्षा नीति में नया अध्याय
राज्य सरकार का मानना है कि इन विश्वविद्यालयों की स्थापना से न केवल प्रदेश में शिक्षा के नए आयाम जुड़ेंगे बल्कि ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के विद्यार्थियों को भी उच्च शिक्षा के लिए नए रास्ते मिलेंगे। कौशल आधारित विश्वविद्यालय जहां राज्य के युवाओं को स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ाएगा, वहीं आवासीय विश्वविद्यालय सामाजिक न्याय और समान अवसर की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
अगले कैबिनेट सत्र में पेश होगा प्रस्ताव
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. रावत ने बताया कि दोनों विश्वविद्यालयों के लिए प्रस्ताव का मसौदा तैयार कर लिया गया है और इसे जल्द ही राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में अनुमोदन के लिए पेश किया जाएगा। स्वीकृति मिलने के बाद भूमि चयन और ढांचा निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।