
बाराबंकी | उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने बड़ी कार्रवाई करते हुए भाड़े पर हत्या करने वाले एक खतरनाक गिरोह का भंडाफोड़ किया है। ये अपराधी बिहार से अवैध हथियार मंगवाकर न केवल यूपी में सप्लाई करते थे, बल्कि पैसों के लिए हत्या की सुपारी भी लेते थे। एसटीएफ ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि उनका एक साथी कार समेत फरार हो गया। गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में बिहार से लेकर उत्तर प्रदेश तक फैले एक बड़े असलहा तस्करी नेटवर्क का खुलासा हुआ है।
एसटीएफ के इंस्पेक्टर राघवेंद्र सिंह को सोमवार देर रात सूचना मिली थी कि लखनऊ के कुख्यात अपराधी रामकेश, श्रीकृष्ण और रिंकू, जो हाल ही में जेल से रिहा हुए हैं, बिहार से असलहा खरीदने बाराबंकी के सफेदाबाद कस्बे आने वाले हैं। सूचना पुख्ता होने पर एसटीएफ ने लखनऊ-अयोध्या नेशनल हाईवे पर घेराबंदी की। मंगलवार रात रेलवे क्रॉसिंग के पास टीम को एक कार और बाइक पर चार संदिग्ध दिखे। टीम ने जैसे ही उन्हें रुकने का इशारा किया, सभी भागने लगे। एसटीएफ ने पीछा कर तीन बदमाशों को दबोच लिया, जबकि एक आरोपी अंधेरे का फायदा उठाकर कार समेत फरार हो गया।
गिरफ्तार आरोपी और बरामदगी
पकड़े गए बदमाशों की पहचान इस प्रकार हुई—
- अजय यादव उर्फ प्रिंस (मलिहाबाद निवासी)
- श्रीकृष्ण (काकोरी, लखनऊ निवासी)
- राकेश लोधी (किशनखेड़ा, काकोरी निवासी)
तीनों के पास से दो देशी पिस्टल और एक तमंचा बरामद किया गया, जो बिहार निर्मित हैं। हथियारों की बरामदगी के साथ एसटीएफ को ऐसे कई दस्तावेज भी मिले हैं, जो बिहार-यूपी के बीच चल रहे अवैध असलहा नेटवर्क की ओर इशारा करते हैं।
पूर्व ब्लॉक प्रमुख की हत्या से जुड़ा कनेक्शन
पूछताछ में खुलासा हुआ कि श्रीकृष्ण और राकेश लोधी कुछ समय पहले काकोरी क्षेत्र में पूर्व ब्लॉक प्रमुख पर हमले और हत्या की वारदात में शामिल रहे हैं। इस मामले में दोनों जेल भी जा चुके हैं और हाल ही में जमानत पर रिहा हुए थे।
एसटीएफ ने बताया कि इनका गिरोह ‘हत्यारा गैंग 34/2024’ के नाम से सक्रिय है और कई बड़े अपराधों में इनकी भूमिका रही है।
बिहार से यूपी तक फैला हथियार तस्करी नेटवर्क
गिरफ्तार अजय यादव उर्फ प्रिंस ने पूछताछ में बताया कि वह बिहार के सीमावर्ती इलाकों से अवैध पिस्टल खरीदता था और उन्हें यूपी के विभिन्न अपराधी गिरोहों को बेचता था।
उसने बताया कि बिहार में एक पिस्टल की कीमत ₹30,000 से ₹35,000 होती है, जबकि यूपी में वही पिस्टल ₹50,000 से ₹60,000 तक में बिक जाती है।
अजय ने अब तक दर्जनों असलहे बेचने की बात स्वीकार की है।
एसटीएफ सूत्रों के अनुसार, इस नेटवर्क से जुड़े कई बड़े अपराधी और माफिया गैंग भी सक्रिय हैं। पुलिस इस नेटवर्क के अन्य तस्करों—आदित्य अवस्थी और एक अन्य साथी—की भी तलाश कर रही है।
फरार आरोपी की तलाश तेज
एसटीएफ के अनुसार, फरार आरोपी रिंकू (लखनऊ निवासी) की तलाश में लगातार दबिश दी जा रही है। टीम को आशंका है कि वह अपने पुराने नेटवर्क के जरिए बिहार सीमा की ओर भागने की कोशिश कर सकता है।
बाराबंकी के शहर कोतवाल सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि तीनों गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। फरार आरोपी की लोकेशन ट्रैक करने के लिए पुलिस टीमों को कई जिलों में भेजा गया है।
बड़े अपराधों में शामिल हो सकता है गिरोह
जांच एजेंसियों का मानना है कि यह गिरोह न केवल हथियारों की तस्करी में, बल्कि भाड़े पर हत्या, रंगदारी, और फिरौती जैसे संगठित अपराधों में भी शामिल रहा है।
एसटीएफ की टीमें अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि बिहार से अवैध हथियार सप्लाई करने वाले नेटवर्क के पीछे कौन-कौन से स्थानीय राजनीतिक या आपराधिक संरक्षण जुड़े हुए हैं।
एसटीएफ की बड़ी कामयाबी
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, इस गिरफ्तारी से पूर्वांचल और अवध क्षेत्र में फैले कई गैरकानूनी हथियार सप्लाई चैनल्स पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। यह भी बताया गया कि आने वाले दिनों में इस नेटवर्क से जुड़े अन्य गैंग्स पर छापेमारी की योजना तैयार की जा रही है।