
अल्मोड़ा-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग, जिसे पहाड़ के तीन जिलों की लाइफ लाइन माना जाता है, मंगलवार से भारी मालवाहक वाहनों के लिए खोल दिया गया है। हालांकि यह अनुमति बेहद सीमित समय के लिए दी गई है। प्रशासन ने भारी वाहनों को क्वारब से केवल सुबह छह बजे से आठ बजे तक गुजरने की इजाजत दी है। इस दो घंटे की राहत के बाद पूरे दिन मार्ग पर भारी वाहनों का आवागमन पूरी तरह प्रतिबंधित रखा गया है। नतीजतन ट्रांसपोर्टरों को उम्मीद के मुताबिक राहत नहीं मिली है और वे अब भी लंबी दूरी तय करने को मजबूर हैं।
निर्धारित समयावधि के बाद भारी मालवाहक वाहनों को रानीखेत और शहरफाटक के रास्ते 47 किमी का अतिरिक्त फेरा लगाकर आना-जाना पड़ रहा है। इससे जहां ईंधन की खपत बढ़ रही है, वहीं यात्रियों और व्यापारियों को आर्थिक बोझ भी झेलना पड़ रहा है। ट्रांसपोर्ट यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि सिर्फ दो घंटे का समय पर्याप्त नहीं है। इतने कम समय में बड़ी संख्या में भारी वाहनों के गुजरने से जाम की स्थिति बन जाती है और यातायात सुचारु रूप से नहीं चल पाता।
ट्रांसपोर्टरों ने मांग की है कि प्रशासन क्वारब मार्ग को दिन में दोपहर 12 बजे से दो बजे तक भी भारी वाहनों के लिए खोले, ताकि मालवाहक ट्रकों का दबाव बंट सके। उनका कहना है कि वैकल्पिक रास्तों से घूमकर आने से एक ओर तो किराया और भाड़ा बढ़ रहा है, वहीं कई सामान समय पर गंतव्य तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। इसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं पर भी पड़ रहा है, क्योंकि देर से पहुंचने वाले सामान की कीमतें बढ़ रही हैं।
ट्रांसपोर्ट यूनियन ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया तो मालवाहन परिवहन की लागत और भी अधिक बढ़ जाएगी, जिससे स्थानीय व्यापार और आम लोगों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा। फिलहाल प्रशासन ने सुरक्षा और सड़क की स्थिति को देखते हुए भारी वाहनों के लिए यही व्यवस्था लागू की है, लेकिन ट्रांसपोर्टरों को उम्मीद है कि जल्द ही स्थायी और संतुलित समाधान निकाला जाएगा।