
नई दिल्ली | दक्षिण-पूर्व दिल्ली के लाजपत नगर इलाके में बुधवार रात एक डरावनी और दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जहां घरेलू नौकर ने अपनी मालकिन और उसके नाबालिग बेटे की गला काटकर बेरहमी से हत्या कर दी। यह घटना तब उजागर हुई जब पीड़िता के पति ने पत्नी और बेटे से संपर्क न होने पर पुलिस को सूचना दी।
झगड़े के बाद हत्यारे बना नौकर
मृतका रुचिका सेवानी (42) और उनका बेटा कृष (14) लाजपत नगर-1 स्थित अपने घर में मृत पाए गए। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि नौकर मुकेश (24) को किसी बात पर डांट मिलने के बाद गुस्सा आया और उसने पहले कृष की बाथरूम में हत्या की, फिर रुचिका की गला काटकर बेडरूम में हत्या कर दी। पुलिस को रुचिका का शव बेड के नीचे और कृष का शव बाथरूम में पड़ा मिला।
आरोपी गिरफ्तार, हत्या का कबूलनामा
पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए आरोपी मुकेश को गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में उसने बताया कि रुचिका द्वारा डांटे जाने के बाद उसने यह खौफनाक कदम उठाया। आरोपी पहले रुचिका की गारमेंट शॉप पर ड्राइवर और सहायक के रूप में काम करता था और अमर कॉलोनी में रहता था।
पति की सतर्कता से खुला राज
पुलिस उपायुक्त (DCP South-East) हेमंत तिवारी के अनुसार, बुधवार रात 9:43 बजे रुचिका के पति कुलदीप (44) ने पुलिस को कॉल कर बताया कि उनकी पत्नी और बेटा कॉल का जवाब नहीं दे रहे हैं। उन्होंने घर के बाहर गेट और सीढ़ियों पर खून के धब्बे भी देखे। सूचना पर पहुंची पुलिस ने जबरन गेट खोला तो घर के अंदर दोनों के खून से लथपथ शव बरामद हुए।
पारिवारिक पृष्ठभूमि
रुचिका और उनके पति कुलदीप लाजपत नगर मार्केट में गारमेंट की दुकान चलाते थे। उनका बेटा कृष एक दसवीं कक्षा का छात्र था। परिवार साधारण और मेहनती था, जिससे यह घटना और भी अधिक चौंकाने वाली और दुखद बन जाती है।
जांच जारी, सबूत जुटाए जा रहे
फिलहाल पुलिस ने घटनास्थल से हत्या में प्रयुक्त हथियार, सीसीटीवी फुटेज और अन्य इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य जब्त कर लिए हैं। आरोपी से पूछताछ जारी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह हत्याकांड सिर्फ एक गुस्से में किया गया अपराध था या इसके पीछे कोई और गहरी साजिश भी है।
यह दोहरे हत्याकांड ने दिल्लीवासियों को झकझोर दिया है। जहां एक ओर घरेलू सहायक जैसे लोगों पर भरोसे की डोर अब और कमजोर होती दिख रही है, वहीं पुलिस की तत्परता से अपराधी को जल्द पकड़ लिया गया। अब सवाल है कि ऐसी घरेलू हिंसा और विश्वासघात से कैसे बचा जाए — और क्या दिल्ली जैसे महानगरों में घर के भीतर की सुरक्षा पर फिर से सोचने की ज़रूरत है।