
उत्तरकाशी | उत्तरकाशी जिले के सिलाई बैंड क्षेत्र में बीते शनिवार रात बादल फटने की घटना के बाद से लापता हुए सात श्रमिकों का अब तक कोई सुराग नहीं मिल पाया है। घटनास्थल पर मलबा, पानी और लगातार हो रही बारिश राहत और बचाव कार्यों में गंभीर रूप से बाधा बन रही है। प्रभावित क्षेत्र में सड़कें बह चुकी हैं और कई गांव अब भी मुख्यालय से कटे हुए हैं।
29 श्रमिक थे प्रभावित, 7 अब भी लापता
घटना में कुल 29 श्रमिक प्रभावित हुए थे। इनमें से 20 को सुरक्षित निकाल लिया गया, जबकि दो की मौत की पुष्टि हो चुकी है। सात श्रमिक अब भी लापता हैं। उनकी तलाश में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, पुलिस और राजस्व विभाग की टीमें जुटी हैं, लेकिन मौसम लगातार चुनौती पेश कर रहा है।
डीएम ने किया स्थलीय निरीक्षण
जिलाधिकारी प्रशांत आर्य ने सोमवार को घटनास्थल का दौरा कर राहत एवं बचाव कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने सर्च एवं रेस्क्यू कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए और कहा कि किसी भी स्थिति में लापता व्यक्तियों की खोज में कोताही नहीं बरती जाएगी। उन्होंने एनएच विभाग को सिलाई बैंड तक यातायात बहाल करने और सिंचाई विभाग को यमुना नदी में बन रही झील के पानी की त्वरित निकासी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
बड़ी बाधा बना मौसम और भू-स्खलन
सिलाई बैंड के पास बह चुकी सड़क को दोबारा बनाना मुश्किल हो रहा है क्योंकि मलबा और पानी का बहाव जारी है। ओजरी क्षेत्र में भी सड़क बहने के कारण गीठ पट्टी के कई गांव दूसरे दिन भी जिला व तहसील मुख्यालय से कटे रहे। जिलाधिकारी ने ओजरी क्षेत्र में वैकल्पिक मार्ग निर्माण हेतु आईटीबीपी और वन विभाग को निर्देश दिए हैं ताकि कम से कम पैदल आवाजाही तो सुरक्षित हो सके।
उपस्थित रहे वरिष्ठ अधिकारी
इस मौके पर एसपी सरिता डोबाल, एसडीएम बृजेश तिवारी, एनएच विभाग के ईई मनोज कुमार रावत, यूपीसीएल के धर्मवीर सिंह, सिंचाई विभाग के ईई पन्नी लाल बंगारी, और आपदा समन्वयक जय पंवार सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। उत्तरकाशी की यह आपदा एक बार फिर राज्य में बरसात के दौरान होने वाली त्रासदियों की ओर ध्यान खींचती है। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों और कमजोर बुनियादी ढांचे के कारण राहत कार्यों में काफी दिक्कतें आ रही हैं। प्रशासन द्वारा सभी प्रयास जारी हैं, लेकिन खराब मौसम चुनौती बना हुआ है। लापता श्रमिकों के परिजन बेसब्री से किसी चमत्कार की उम्मीद में हैं।