
देहरादून| उत्तराखंड में गर्मियों की छुट्टियां समाप्त होने के बाद आज से स्कूलों में पढ़ाई फिर से शुरू हो गई है, लेकिन राज्य के 942 स्कूल भवनों की जर्जर स्थिति छात्रों और शिक्षकों की सुरक्षा के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई है। इनमें कई भवनों की छत टपक रही है, दीवारें दरकी हुई हैं, और कई स्थानों पर बारिश का पानी स्कूल परिसरों में जमा हो रहा है।
बरसात में डर के साए में पढ़ाई
मानसून की बारिश के बीच छात्रों को खतरे में डालकर स्कूलों में बैठाया जा रहा है। कई स्कूलों में सुरक्षा दीवार तक नहीं है, जिससे भूस्खलन का खतरा भी मंडरा रहा है। प्राथमिक शिक्षक संघ के देहरादून जिलाध्यक्ष धर्मेंद्र रावत के अनुसार, देहरादून जिले के रायपुर, विकासनगर, चकराता और कालसी में कई स्कूल गंभीर रूप से जर्जर हैं। शहरी क्षेत्रों में जलभराव भी एक बड़ी समस्या बन गई है।
संगठनों की चिंता और मांग
जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद थापा ने बरसात के मौसम में छात्रों की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने मांग की कि जर्जर स्कूलों की मरम्मत की जाए और गर्मियों की छुट्टी को जून की बजाय जुलाई में समायोजित किया जाए ताकि बरसात के दौरान छात्रों और शिक्षकों को स्कूल आने-जाने में परेशानी न हो।
अधिकारियों के निर्देश
माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने बताया कि माध्यमिक स्तर पर केवल 19 स्कूल भवन जर्जर पाए गए थे, जिनमें से कई को ध्वस्त कर नए भवन तैयार किए जा चुके हैं। अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी हालत में बच्चों को जर्जर भवनों में न बैठाया जाए।
शिक्षा महानिदेशक के सख्त निर्देश
शिक्षा महानिदेशक दीप्ति सिंह ने सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि छात्रों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जाए। उन्होंने कहा है कि किसी भी जीर्ण-शीर्ण भवन, दीवार या कक्ष में बच्चों को न बैठाया जाए और बरसात के समय यदि स्कूल के पास नाला या जलभराव की स्थिति हो तो विशेष सावधानी बरती जाए।
जिलावार जर्जर स्कूल भवनों की स्थिति
जिला | जर्जर स्कूल भवन |
---|---|
अल्मोड़ा | 135 |
बागेश्वर | 06 |
चमोली | 18 |
चंपावत | 16 |
देहरादून | 84 |
हरिद्वार | 35 |
नैनीताल | 125 |
पौड़ी | 107 |
पिथौरागढ़ | 163 |
रुद्रप्रयाग | 34 |
टिहरी | 133 |
ऊधमसिंह नगर | 55 |
उत्तरकाशी | 12 |
उत्तराखंड के कई जिलों में शिक्षा के मंदिर खतरे के कगार पर खड़े हैं। छात्रों की जान जोखिम में डालकर शिक्षा देना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। सरकार और शिक्षा विभाग को इस ओर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है, ताकि भविष्य के निर्माता एक सुरक्षित और स्थिर वातावरण में ज्ञान अर्जन कर सकें।