
उत्तराखंड में मानसून का असर चरम पर है। प्रदेश के सात जिलों — देहरादून, टिहरी, पौड़ी, चम्पावत, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर — में 29 जून से 1 जुलाई तक भारी से भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया गया है। इसके अलावा रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों के कुछ हिस्सों में भी भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।
मौसम विभाग की चेतावनी
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि इन तीन दिनों में जलभराव, भूस्खलन और नदी-नालों के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हो सकती है। लोगों को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी गई है, विशेषकर रात के समय और नदी-नालों के आसपास न जाने की हिदायत दी गई है। प्रशासन ने पर्वतीय क्षेत्रों की यात्रा को टालने की अपील की है।
श्रीनगर में अलकनंदा नदी उफान पर
श्रीनगर में अलकनंदा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। प्रशासन ने नदी किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क कर दिया है। खतरे की आशंका को देखते हुए निगरानी बढ़ा दी गई है।
सड़कें ध्वस्त, बदरीनाथ और यमुनोत्री हाईवे समेत 72 मार्ग बंद
बारिश के कारण प्रदेश भर में भूस्खलन और मलबा आने की घटनाएं तेज हो गई हैं। चमोली जिले में सबसे अधिक 21 मार्ग बंद हुए हैं। बदरीनाथ हाईवे पर पार्थाडीप और सिरोहबगड़ के पास भारी मलबा आने से रास्ता अवरुद्ध हो गया है। सोनला में दलदल की स्थिति के कारण वाहन फंसे हुए हैं।
कर्णप्रयाग-नैनीताल हाईवे रन्डोली के पास गदेरे में मलबा आने से बंद हो गया है, जिससे यात्रियों की बड़ी संख्या बीच रास्ते में फंस गई है। लोग जान जोखिम में डालकर मलबे के ऊपर से रास्ता पार कर रहे हैं। यमुनोत्री हाईवे पर पालिगाड, कुथनोर, और झाझरगड के पास रास्ता बाधित है, जबकि गंगोत्री हाईवे पर नेताला, बिशनपुर, लालढांग और नालूणा में मार्ग अवरुद्ध हो गए हैं।
स्थिति गंभीर, प्रशासन सतर्क
प्रदेश में लगातार हो रही बारिश से स्थिति गंभीर होती जा रही है। कई स्थानों पर स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं। लोगों से अपील की गई है कि वे मौसम विभाग और प्रशासन की चेतावनियों का पालन करें और अनावश्यक यात्रा से बचें।