ऊधम सिंह नगर। अयोध्या में पुलिस हिरासत में एलएलबी के छात्र भास्कर की मौत के मामले में पुलिस की भूमिका पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। दो महीने पहले भास्कर को गलत तरीके से हिरासत में रखने पर उसके भाई ने गृह सचिव, डीजीपी, डीआईजी तक शिकायत की थी लेकिन पुलिस ने अदालत में मामला जाने पर ही भास्कर को छोड़ा था।
ट्रांसपोर्ट कंपनी से हुई धोखाधड़ी का मामला दो महीनों से चल रहा था। पुलिस ने दबाव में भास्कर को बिना एफआईआर दर्ज किए हिरासत में रखा था। भास्कर के भाई समीर चंद्र पांडे ने चार अप्रैल को गृह सचिव को शिकायत की थी। समीर के अनुसार उसके भाई ने ट्रांसपोर्ट कंपनी के मैनेजर को कई बार लेनदेन के लिए खाता खोलने को कहा था लेकिन ऐसा नहीं करने पर उसके भाई के खाते में रुपये आते थे।
मार्च के आखिरी सप्ताह में कंपनी मैनेजर ने उनके भाई को 50 लाख की रोड टैक्स की रसीदें फर्जी होने की बात कही थी। उनके भाई को रुद्रपुर में सभी रिकार्ड के लिए बुलाया गया। 27 मार्च से 29 मार्च तक कंपनी के मैनेजर अपने पास रखकर भाई से हिसाब किताब करते रहे थे। 29 मार्च की रात कोतवाली में गबन के आरोप में तहरीर देकर भाई को बंद कर दिया था।
गृह सचिव को भेजे पत्र में समीर ने कहा था कि मामले में कंपनी के अधिकारी दोषी हैं। पुलिस ने उसके भाई को नाजायज ढंग से बंद किया। उसने सूचना दर्ज कर भाई को छोड़ने के लिए आदेश देने की मांग की थी। सुनवाई नहीं होने पर उसने अदालत की शरण ली और भाई को पुलिस से छुड़वाया था।
एलएलबी के छात्र भास्कर ने भी झूठे मामले में फंसाने का अंदेशा जताते हुए कप्तान से लेकर डीआईजी को पत्र भेजकर रिपोर्ट दर्ज करने की गुहार लगाई थी लेकिन इन प्रार्थना पत्रों पर कानूनी कार्रवाई नहीं की गई और दो महीने बाद भास्कर पर केस दर्ज कर दिया गया। भास्कर ने हिरासत में छूटने के बाद डीआईजी और एसएसपी को भेजे शिकायती पत्र में कहा था कि 27 मार्च को गबन का आरोप लगाकर उनको रुद्रपुर पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया था। कोतवाली पुलिस ने उनको एक कमरे में बंद रखा था। यहां पंखा, पानी, टायलेट की व्यवस्था नहीं की।
आरोप है कि एक संतरी उसके साथ गालीगलौज कर डराता था। इस दौरान पुलिसकर्मी उनको कंपनी की गाड़ी में मेवात हरियाणा भी ले गए थे। उसके भाई समीर पांडे ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष उसको नाजायज बंद करने का प्रार्थना पत्र दिया तो पुलिस आनन फानन में उसे मेवात से लेकर आ गई थी। पुलिस ने अदालत में रिपोर्ट दी कि भास्कर किसी अपराध में वांछित नहीं है। पांच अप्रैल की रात उसको छोड़ा गया था। भास्कर का कहना था कि यदि कोई अपराध होगा तो उसमें कंपनी के अधिकारी, कर्मचारियों की संलिप्तता होगी। उन्होंने दो मोबाइल और लैपटॉप भी जब्त करने की बात कही थी। भास्कर ने कोतवाली पुलिस पर शिकायती पत्र पर कार्रवाई नहीं करने पर डीआईजी और एसएसपी को शिकायती पत्र देने की बात कही थी लेकिन इस शिकायती पत्र पर निचले स्तर से लेकर आला अफसरों तक ने संज्ञान नहीं लिया।
एसएसपी मंजुनाथ टीसी ने सोमवार को भी पूरे मामले में नियमानुसार कार्रवाई करने की बात कही है। उन्होंने कहा कि रोड टैक्स का फर्जी रसीद बनाने के गंभीर आरोप में केस दर्ज हुआ था। कंपनी ने आरटीओ से टैक्स की रसीदों का सत्यापन कराया तो बताया गया कि सभी रसीदें, मुहर, हस्ताक्षर नकली हैं। इससे पहले जिला स्तर पर जांच हुई थी। केस दर्ज होने के बाद विवेचक ने नियमानुसार कार्रवाई कर साक्ष्य संकलन किया था। मुख्य अभियुक्त भास्कर पांडे था और अयोध्या में भीड़भाड़ वाली जगह से पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
टीम के अनुसार भास्कर ने अच्छे से बातचीत की थी। थोड़ी देर में भास्कर के सीने में दर्द हुआ था और अचेत हालत में उसको जिला अस्पताल ले जाया गया था। वहां से स्थानीय पुलिस और परिजनों को सूचना दी गई थी। एनएचआरसी की गाइडलाइन के अनुसार पंचायतनामा और पोस्टमार्टम की कार्रवाई की गई है। पोस्टमार्टम में मृत्यु की वजह हाईअटैक से होना है। अभिरक्षा में मौत कोई नहीं चाहता है, लेकिन यह घटना बेहद दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। घटना के 24 घंटे के भीतर एनएचआरसी को सूचना दे दी गई थी।