ऊधम सिंह नगर। उत्तराखंड पुलिस ने एक बार भास्कर पांडेय को क्लीनचिट दे दी थी। इसके बावजूद पुलिस की तरफ से बार-बार धमकी भरे फोन आने से आजिज आकर भाष्कर ने दोबारा कोर्ट की शरण ली। इसके बाद ही रुद्रपुर पुलिस ने 17 जुलाई 2024 को उसके खिलाफ 52 लाख के फ्रॉड का केस दर्ज कर लिया, लेकिन इसकी जानकारी भाष्कर या उसके परिजनों को नहीं दी गई। पुलिस हिरासत में मौत के तीन घंटे बाद किसी ने फोन करके परिजनों को बुलाया। इसी तरह के गंभीर आरोप लगाते हुए परिजन अब कोर्ट जाने का दावा कर रहे हैं।
सिद्धार्थनगर के बर्डपुर महुलानी निवासी रामेश्वर पांडेय के 32 वर्षीय पुत्र भास्कर पांडेय को रुद्रपुर थाने की पुलिस ने 52 लाख रुपये गबन के आरोप में शुक्रवार की शाम गिरफ्तार किया था। कुछ ही देर बाद पुलिस कस्टडी में उसकी मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम में हार्ट अटैक से मौत की पुष्टि हुई है, लेकिन परिजन इसे सुनियोजित हत्या मान रहे हैं और रुद्रपुर पुलिस के साथ ही अयोध्या पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़ा करके तमाम आरोप लगा रहे हैं।
मृतक के भाई राबुन पांडेय ने बताया कि मार्च में पुलिस ने भास्कर को पूछताछ के लिए बुलाया और थाने में बैठा लिया। रात में वे लोग पहुंचे तो अगले दिन छोड़ा, लेकिन मोबाइल फोन, बैग, लैपटॉप आदि रख लिया। इसके बावजूद बार-बार फोन पर पुलिस धमका रही थी तो न्यायालय की शरण ली। पांच मई को रुद्रपुर कोतवाल ने सीजेएम कोर्ट में पत्र लिखकर भास्कर के खिलाफ कोई केस दर्ज न होना बताया। इसके बाद फिर पुलिस दबाव बना रही थी तो जून में भास्कर ने दोबारा न्यायालय में शिकायत की। इसी के बाद जुलाई में पुलिस ने केस दर्ज किया और गलत तरीके से उसे गिरफ्तार किया।
युवक की मौत के बाद की एक तस्वीर परिजनों के हाथ लगी है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुई है। परिजनों का आरोप है कि इस फोटो में युवक की आंखों पर चोट व सूजन दिख रही है, लेकिन पुलिस इसे हार्ट अटैक से मौत होना बता रही है। मृतक के पिता ने कहा कि पुलिस ने केस दर्ज होने व गिरफ्तार होने की सूचना तो नहीं दी, लेकिन मौत के बाद भी तीन घंटे तक उन्हें पुलिस ने नहीं बताया। एक व्यक्ति ने फोन किया भी तो उसके तुरंत बाद फोन स्विच ऑफ कर लिया। इसीलिए पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं। इसमें अयोध्या पुलिस ने भी सहयोग किया है। इसलिए उनके खिलाफ भी कोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे।
मृतक युवक के भाई राबुन पांडेय ने बताया कि उनका भाई बचपन से ही सेहतमंद था। उसे कोई बीमारी नहीं रही है। पूरी तरह स्वस्थ हालत में वह परीक्षा देने आया था। ऐसे में हार्ट अटैक होने की बात गले उतर नहीं रही है। पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद युवक का मेडिकल परीक्षण भी नहीं कराया। ऐसा कराया होता और उसे कोई दिक्कत होती तो शायद उसकी जान बच सकती थी लेकिन उत्तराखंड पुलिस ने कदम-कदम पर गलतियां कीं, इस वजह से पुलिस की भूमिका पर संदेह गहराता जा रहा है।