
नैनीताल। नैनीताल जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में हुए अभूतपूर्व घटनाक्रम ने राज्य की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था दोनों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सोमवार को उत्तराखंड हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने पुलिस और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए। कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि चुनाव जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में कानून-व्यवस्था की विफलता अस्वीकार्य है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने नाराजगी जताते हुए यहां तक कहा—”क्यों न SSP का तबादला कर दिया जाए?”
मामला क्या है?
जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए भाजपा प्रत्याशी दीपा दरमवाल और कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पा नेगी के बीच सीधा मुकाबला था। लेकिन मतदान से कुछ ही समय पहले स्थिति तब बिगड़ गई जब कथित तौर पर अज्ञात लोगों ने कांग्रेस समर्थित पांच जिला पंचायत सदस्यों का अपहरण कर लिया। घटना से पूरे क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई और विपक्ष ने भाजपा पर मिलीभगत के आरोप लगाते हुए चुनाव का बहिष्कार कर दिया।
कैसे हुई घटना
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सुबह लगभग 10 बजे कुछ जिला पंचायत सदस्य कांग्रेस नेताओं के साथ मतदान केंद्र की ओर जा रहे थे। तभी रंग-बिरंगी बरसाती पहने 10-12 अज्ञात लोग अचानक सामने आए और सदस्यों के साथ हाथापाई करने लगे। आरोप है कि इन लोगों ने कांग्रेस समर्थित सदस्यों को सड़क पर घसीटते हुए जबरन एक वाहन में बैठा लिया और फरार हो गए। बीच-बचाव करने आए अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ भी धक्का-मुक्की की गई।
हंगामा और मामला हाईकोर्ट पहुँचा
इस घटना के बाद कांग्रेस नेताओं ने जोरदार हंगामा किया और पुलिस-प्रशासन पर मिलीभगत के आरोप लगाए। चुनावी प्रक्रिया बाधित हो गई। केवल 12 वोट ही डाले जा सके और मतदान रुक गया। गुस्साए कांग्रेस पदाधिकारी सीधा हाईकोर्ट पहुँच गए और न्याय की मांग की। इसके बाद कोर्ट के आदेश पर दोपहर बाद सुरक्षा के बीच कांग्रेस प्रत्याशी पुष्पा नेगी समेत 10 सदस्यों को मतदान कराया गया। हालांकि, पांच अपहृत सदस्यों का देर रात तक कोई पता नहीं चल पाया।
कोर्ट में क्या हुआ?
सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाया। मुख्य न्यायाधीश ने SSP नैनीताल और जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली को आड़े हाथों लिया। कोर्ट ने कहा कि यह घटना चुनाव प्रक्रिया पर सीधा प्रहार है और इससे लोकतांत्रिक व्यवस्था को ठेस पहुँची है। “जब चुनाव जैसी प्रक्रिया में पुलिस सुरक्षा ही असफल हो जाए तो आम नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा?”
कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि आखिर इतने बड़े घटनाक्रम के बावजूद पुलिस क्यों हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। अपहरणकर्ताओं का सुराग तक न लग पाना पुलिस की नाकामी को दर्शाता है। कोर्ट ने संकेत दिया कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो SSP का तबादला किया जा सकता है। अगली सुनवाई 19 अगस्त को निर्धारित है।
प्रशासन और पुलिस की दलील
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हाईकोर्ट के समक्ष उपस्थित हुईं जिलाधिकारी वंदना सिंह ने कहा कि वह चुनाव आयोग को प्रस्ताव भेज रही हैं और आयोग की अनुमति मिलने के बाद ही पुनः चुनाव कराया जाएगा।
वहीं, पुलिस की ओर से एसपी डॉ. जगदीश चंद्र ने जानकारी दी कि इस मामले में अज्ञात लोगों के खिलाफ BNS की धारा 140(3), 174, 221 और 223 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। पुलिस टीमें लगातार पांचों सदस्यों की तलाश में जुटी हुई हैं।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
घटना के बाद कांग्रेस ने भाजपा और पुलिस प्रशासन पर साजिश के आरोप लगाए। विपक्षी नेताओं का कहना है कि सत्ता पक्ष चुनाव परिणाम को प्रभावित करने के लिए आपराधिक तत्वों का सहारा ले रहा है। दूसरी ओर भाजपा ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस हार की आशंका से बौखला गई है और बेबुनियाद आरोप लगा रही है।
आगे क्या?
चूंकि घटना ने पूरे राज्य में राजनीतिक हलचल मचा दी है, अब सभी की नजरें 19 अगस्त को होने वाली अगली सुनवाई पर टिकी हैं। तब तक प्रशासन और पुलिस पर यह दबाव रहेगा कि वे अपहृत सदस्यों को सुरक्षित ढूंढ निकालें और मामले की सच्चाई सामने लाएँ।