
उत्तराखंड में शीतकालीन पर्यटन और तीर्थाटन को प्रोत्साहन देने की दिशा में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को उत्तरकाशी जिले के सुदूरवर्ती मोरी विकासखंड स्थित सांकरी क्षेत्र में आयोजित केदारकांठा पर्यटन–तीर्थाटन शीतकालीन महोत्सव में शिरकत की। मुख्यमंत्री के केदारकांठा पहुंचने पर पूरे क्षेत्र में उत्साह का माहौल देखने को मिला और स्थानीय लोगों ने पारंपरिक अंदाज में उनका स्वागत किया।
मुख्यमंत्री के आगमन पर क्षेत्रीय विधायक दुर्गेश्वर लाल ने उन्हें स्थानीय पारंपरिक वेशभूषा पहनाई और फूल मालाओं से अभिनंदन किया। इस अवसर पर जनप्रतिनिधियों, स्थानीय नागरिकों और पर्यटन से जुड़े लोगों की बड़ी संख्या मौजूद रही। मुख्यमंत्री का स्वागत ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक सांस्कृतिक झलक के साथ किया गया, जिससे पूरे आयोजन में लोकसंस्कृति की जीवंत छवि नजर आई।
कार्यक्रम के दौरान यह संदेश साफ तौर पर सामने आया कि राज्य सरकार शीतकालीन पर्यटन को केवल एक मौसमी गतिविधि नहीं, बल्कि आजीविका और आर्थिक विकास के मजबूत माध्यम के रूप में देख रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री की मौजूदगी से केदारकांठा जैसे लोकप्रिय ट्रेकिंग और तीर्थाटन स्थलों को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिलेगी और सर्दियों के मौसम में भी पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा।
विधायक दुर्गेश्वर लाल ने कहा कि मुख्यमंत्री के केदारकांठा पहुंचने से शीतकालीन पर्यटन और तीर्थाटन को निश्चित रूप से बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने बताया कि इससे स्थानीय युवाओं, होटल व्यवसायियों, गाइडों और छोटे कारोबारियों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा और पलायन की समस्या पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
केदारकांठा क्षेत्र पहले से ही ट्रेकिंग प्रेमियों और प्रकृति पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है, लेकिन शीतकालीन पर्यटन को संगठित रूप देने के लिए इस तरह के महोत्सवों की भूमिका अहम मानी जा रही है। मुख्यमंत्री के इस दौरे को सीमांत और पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन गतिविधियों को सालभर सक्रिय रखने की सरकारी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि मुख्यमंत्री की यह पहल आने वाले समय में बुनियादी सुविधाओं, सड़क संपर्क, आवास व्यवस्था और सुरक्षा प्रबंधों को और मजबूत करेगी। कुल मिलाकर केदारकांठा में मुख्यमंत्री की मौजूदगी ने न केवल महोत्सव को विशेष बना दिया, बल्कि शीतकालीन पर्यटन के भविष्य को लेकर नई उम्मीदें भी जगा दी हैं।




