रानीखेत (अल्मोड़ा)। स्थानीय उप जिला चिकित्सालय बाल रोगियों को राहत नहीं दे पा रहा है। यहां सृजित बाल रोग विशेषज्ञों के दोनों पद खाली हैं। इस कारण बच्चों के उपचार के लिए अस्पताल आ रहे अभिभावकों को दूर या निजी अस्पतालों में जाना पड़ रहा है।
उप जिला चिकित्सालय में द्वाराहाट, ताड़ीखेत, मजखाली समेत जिले की सीमा से लगे गढ़वाल के कुछ हिस्सों के लोग बेहतर उपचार के लिए आते हैं लेकिन यह अस्पताल लोगों की कसौटी और उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पा रहा है जो स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के दावों को खोखला साबित कर रहा है।
यहां बाल रोग विशेषज्ञ के दो पद सृजित हैं। एक पद कई साल से खाली है। इसके बावजूद यहां तैनात एकमात्र बगैर प्रतिस्थानी के 19 जून को दूसरे बाल रोग विशेषज्ञ का भी स्थानांतरण कर दिया गया। ऐसे में बच्चों और अभिभावकों की परेशानी बढ़ गई है और उन्हें मामूली रोग के उपचार के लिए भी भटकना पड़ रहा है। सक्षम लाेग निजी अस्पतालों में जा रहे हैं जबकि कई लोग 45 किमी दूर जिला मुख्यालय जाकर इलाज कराने के लिए मजबूर हैं।
उप जिला चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संदीप दीक्षित का कहना है कि अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ न होने की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी गई है। उम्मीद है कि यहां बाल रोग विशेषज्ञ की तैनाती जल्द होगी।
रानीखेत (अल्मोड़ा)। उप जिला चिकित्सालय में मरीजों का खासा दबाव रहता है। यहां रोज 120 से अधिक लोग उपचार के लिए पहुंचते हैं जिनमें 15 से 20 बच्चे शामिल रहते हैं लेकिन बाल रोग विशेषज्ञ न होने से बच्चों को रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में अभिभावक निजी अस्पताल या दूर जाने के लिए मजबूर हैं। इस कारण उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
रानीखेत (अल्मोड़ा)। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संदीप दीक्षित ने बताया कि बारिश में बच्चे अधिक बीमार हो रहे हैं। अधिकतर बच्चे वायरल, डायरिया, टायफाइड, पीलिया से ग्रसित मिल रहे हैं लेकिन बाल रोग विशेषज्ञ न होने के कारण उन्हें अन्य अस्पतालों में जाने की सलाह देनी पड़ रही है।