द्वारहाट: द्वारहाट रानीखेत से 13 मील (लगभग 20.8 कि.मी.) की दुरी पर स्थित है | द्वाराहाट में तीन वर्ग के मंदिर है – कचहरी , मनिया तथा रत्नदेव | द्वाराहाट बद्रीनाथ जाने वाले तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थान केंद्र रहा है | इसकी सांस्कृतिक महत्व के कारण , द्वाराहाट को “उत्तरा द्वारका” (उत्तर द्वारका – भगवान कृष्ण के निवास) के रूप में भी जाना जाता है । पुरातात्विक रूप से , द्वाराहाट के 55 मंदिरों के समूह को 8 समूह में विभाजित किया जा सकता है | गुज्जर देव , कछारी देवल , मांडवे , रतन देवल , मृत्युंजय , बद्रीनाथ और केदारनाथ | इन मंदिरों का निर्माण 10 से 12 सदी के बीच किया गया था | यह जगह पुराने जमाने में कत्युरी साम्राज्य की राजधानी थी।
द्वाराहाट अल्मोड़ा के कुमाउं पर्वत में एक छोटा सा शहर है और 1510 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है | यह अपने पुरातात्विक और ऐतिहासिक महत्व के लिए भी जाना जाता है | इस जगह में कई खूबसूरत और प्रसिद्ध मंदिर है एवम् इस स्थान को “मंदिरों का गाँव” भी कहा जाता है | द्वाराहाट 10वी-12वी शताब्दी से 8 मंदिरों का घर है , जिनमे से ज्यादातर पत्थर से बने पिरामिड शंकु है जो लोहे कुसिरयो से अधिक बंधे है | दूनागिरी और नाथना देवी मंदिर में प्रसिद्ध शक्ति मंदिर द्वाराहाट के दो प्रमुख आकर्षण है | मान्यताओं के अनुसार, दुर्लभ जड़ी बूटी “संजीवनी”, शक्ति मंदिर के परिसर के अंदर ही पैदा होती है | शहर के विभिन्न भागों में मंदिरों की संख्या के कारण कभी-कभी “कुमाऊं के खजुराहो” के रूप में द्वाराहाट आपको स्वर्ग की यात्रा की भावना महसूस कराता है | यह मन्दिर दवाराहाट में स्थित भगवान शिव-मृत्युजंय (मृत्यु पर विजय पाने वाला) को समर्पित है। यह मन्दिर नागर शिखर शैली में निर्मित पूर्वाभिमुखी त्रिरथ योजना से बनाया गया है, जिसमें गर्भगृह, अन्तराल और मडंप युक्त है। यह मन्दिर लगभग 11 वी से 12 वी शताब्दी का माना जाता है। मन्दिर परिसर में स्थित दो अन्य मन्दिर भी है। जो कि भगवान काल भैरव तथा लघु देवालय जीर्ण-शीर्ण को समर्पित है।
द्वाराहाट के मंदिरों के निर्माण काल को लेकर भी विद्वानों के मध्य आज भी अनेक प्रकार के मतभेद बने हुए हैं। स्थानीय ग्रामीण समुदाय के लोगों की आम धारणा रही है कि इन मंदिरों का निर्माण पांडवों ने किया था। कुछ विद्वानों के अनुसार 10वीं से 12वीं सदी के मध्य यहां कत्यूरी राजाओं द्वारा इन मंदिरों का निर्माण हुआ था तो एक दूसरे मत के अनुसार 9वीं-10वीं सदी में इनका निर्माण हो चुका था।महापंडित राहुल सांकृत्यायन के अनुसार द्वाराहाट के 30 प्राचीन मंदिरों तथा 365 कुंडों (बावड़ियों) का निर्माणकाल 10वीं से 12वीं सदी के मध्य माना गया है।उत्तराखंड के पुरातत्त्व वेत्ता डा. यशोधर मठपाल के अनुसार चन्द्रगिरि पर्वत पर विराजमान गूजर शाह द्वारा निर्मित ध्वज मंदिर समूह का रचना काल 13वीं सदी के लगभग माना गया है।किन्तु रतन देवल मंदिर समूह के मंदिरों का निर्माण कुछ बाद में हुआ था।डा.शिव प्रसाद डबराल, डा.के पी नौटियाल आदि विद्वानों का मत है कि द्वाराहाट के विभिन्न मंदिर समूहों का निर्माण कत्यूरी राजवंश के समय हुआ था।
दरअसल, द्वाराहाट का प्राचीन इतिहास ऐतिहासिक साक्ष्यों की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध रहा है किंतु इन साक्ष्यों के लुप्त होने या नष्ट होने के कारण इन मंदिरों के कालनिर्धारण और इनके धार्मिक एवं सांस्कृतिक विश्लेषण में अनेक प्रकार की जटिलताएं उत्पन्न होती हैं।