टिहरी: बूढ़ाकेदार टिहरी जनपद का प्रसिद्ध धाम है। दो नदियों बालगंगा व धर्म गंगा के मध्य यह धाम स्थित है। यहां पर दोनों नदियों का संगम भी है। पूर्व में केदारनाथ पैदल यात्रा का यह मुख्य पड़ाव था उस समय बूढ़ाकेदार धाम के दर्शन किए बिना केदारनाथ की यात्रा अधूरी मानी जाती थी। बूढ़ाकेदारनाथ के नाम से ही इस गांव का नाम भी बूढ़ाकेदार पड़ा जो धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
श्रावण मास में पैदल कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्त बूढ़ाकेदार के दर्शन करते हैं। बूढ़ाकेदार के दर्शन के लिए दूर-दराज क्षेत्रों से श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। यह काफी प्राचीन केदार में एक माना जाता है। वर्तमान में केदारनाथ की पैदल कांवड़ यात्रा यहीं से होकर निकलती है। यहां पर बूढ़ाकेदार का प्राचीन मंदिर था, जिसे अब भव्य रूप दिया है। क्षेत्र ही नहीं दूर-दराज क्षेत्र के लोगों की इस धाम के प्रति अटूट आस्था है। जिला मुख्यालय से यह धाम करीब 85 किमी दूर है। जिला मुख्यालय से यहां के लिए सीधी बस सेवा है। घनसाली से छोटे वाहनों से भी यहां तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। बस व छोटे वाहन की सुविधा बूढ़ाकेदार तक है। यहां से कुछ ही दूरी पर बूढ़ाकेदार धाम है। उत्तरकाशी, धौंतरी होते हुए भी श्रद्धालु बूढाकेदार पहुंच सकते हैं।