रुद्रपुर। उत्तराखंड के किसानों का हक मारने के लिए बिचौलिए हावी हो रहे हैं। यूपी का धान कम दामों में खरीद यहां के काटों पर साठ गांठ कर तौल करा रहे हैं। जिसके चलते यहां के किसानों को तौल कराने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। अब तक तराई में डेड़ लाख क्विंटल धान की तौल हो चुकी है।
किसानों ने बताया कि कई किसान बिचौलिए संग मिलकर दूसरे की खतौनी पर यूपी का धान तौल करा रहे हैं। इसके बदले उनसे रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से ले रहे हैं। खरीफ फसल के लिए धान खरीद सत्र चालू है। इस बार ऊधम सिंह नगर में 200 क्रय केंद्र खाद्य विभाग् यूसीएफ आदि के खुले हैं।
वहीं साढ़े नौ लाख क्विंटल खरीद का लक्ष्य भी रखा गया है। धान खरीद के लिए इस बार पंजीकरण पूर्व में कराना अनिवार्य किया गया है। पंजीकरण के बाद उसका सत्यापन प्रशासन स्तर से किया गया, जिसमें किसान के वास्तविक भूमि और धान के फसल हेक्टेयर का सत्यापन किया गया। एक अक्टूबर से खरीद के लिए सरकारी कांटे लग गए।
धान के रेट 2040-2060 निर्धारित किया गया। जिले में इस बार एक लाख नौ हजार हेक्टेयर में धान की बुआई की गई है। खरीद भी पिछले एक सप्ताह में तेजी शुरू हुई, लेकिन इसमें भी बिचौलिए अब हावी होने लगे हैं। उत्तर प्रदेश सीमा से सटे गावों से सस्ते दामों पर धान उत्तराखंड लाकर यहां के किसानों से खतौनी पर सौदा कर रहे हैं। खतौनी पर पति क्विंटल बिचौलिए उन्हें 100-200 रुपये भुगतान कर रहे हैं।
ऐसे में प्रति केंद्र का एक दिन का लक्ष्य 700 क्विंटल होने के चलते यहां के किसानों का तौल प्रभावित हो रहा है। बिचौलिए सेटिंग कर मौज कर रहे हैं। इसे लेकर किसानों में रोष भी है। विक्रम विर्क ने कहा कि पंतनगर में करीब 40 एकड़ की खेती है। यहां के किसानों के धान की तौल नहीं हो पा रही है।
पंजीकरण के लिए पोर्टल भी बंद है। जबकि यूपी के धान का तौल यहां के कई केंद्रों पर बिचौलिए के माध्यम से किया जा रहा है। यहां के किसानों की खतौनी पर वहां का धान खपा रहे हैं। यहां के किसान हलकान है।