
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस महीने के अंत में कुआलालंपुर में होने वाले 47वें आसियान शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात कर सकते हैं। प्रधानमंत्री मोदी 26-27 अक्टूबर को इस सम्मेलन में भाग लेने मलेशिया की यात्रा पर जा रहे हैं। मलेशियाई सरकार ने राष्ट्रपति ट्रंप को भी इस बहुपक्षीय मंच पर शामिल होने के लिए निमंत्रण दिया है। यदि ट्रंप अपनी भागीदारी की पुष्टि करते हैं, तो यह पहला अवसर होगा जब भारत पर वाशिंगटन द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ लागू होने के बाद दोनों नेता आमने-सामने होंगे।
भारत और अमेरिका के रिश्तों में हाल के महीनों में गहराता तनाव अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर साफ झलकने लगा है। ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर 50 प्रतिशत टैरिफ लागू करने से दोनों देशों के बीच व्यापारिक मतभेद गहरे हो गए हैं। इसके अलावा ट्रंप के पाकिस्तान के साथ बढ़ते राजनीतिक और रणनीतिक रिश्तों ने नई दिल्ली में चिंता की स्थिति पैदा कर दी है। इस वजह से अमेरिका और भारत के संबंधों में खटास और बढ़ती दिख रही है।
स्थिति तब और जटिल हो गई जब ट्रंप ने मास्को के साथ भारत के ऊर्जा संबंधों को लेकर तीखी आलोचना की। खासकर रूस से कच्चे तेल के आयात को लेकर उन्होंने भारत पर दबाव बनाने की कोशिश की और यह चेतावनी दी कि रूस से जारी तेल खरीद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों को कमजोर कर रही है। भारत ने हालांकि हमेशा यह रुख अपनाया है कि उसकी ऊर्जा जरूरतें किसी भी राजनीतिक समीकरण से ऊपर हैं और वह अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए फैसले करेगा।
अब ऐसे में कुआलालंपुर में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और ट्रंप की संभावित मुलाकात न केवल दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत बातचीत का मौका होगी, बल्कि यह देखने योग्य होगा कि क्या दोनों देश व्यापारिक तनाव और राजनीतिक मतभेदों के बावजूद किसी साझा आधार पर आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। यह बैठक वैश्विक राजनीति और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बदलते समीकरणों के लिहाज से बेहद अहम साबित हो सकती है।