
प्रयागराज | प्रयागराज के धूमनगंज थाना क्षेत्र में रहने वाले एक युवक ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया अकाउंट (संभावित रूप से व्हाट्सएप या इंस्टाग्राम) पर एक विवादित स्टेटस डाला। इस स्टेटस में उसने उमेश पाल हत्याकांड से जुड़ा सीसीटीवी फुटेज अपलोड किया था — वही फुटेज जिसमें अपराधियों को गोली चलाते और बम फेंकते देखा गया था।
फुटेज के साथ युवक ने बैकग्राउंड में एक गाना जोड़ा और उस पर लिखा — “सिस्टम मेरे अधीन है।” यह वीडियो तेजी से इलाके में वायरल हो गया। स्थानीय लोगों में इससे नाराजगी फैल गई और किसी ने इसकी जानकारी ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा करते हुए पुलिस को टैग कर दिया।
पुलिस की कार्रवाई
शिकायत मिलने के बाद धूमनगंज थाना पुलिस तुरंत हरकत में आई। तकनीकी निगरानी सेल की मदद से युवक का पता लगाया गया। कुछ ही घंटों में पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया और उसके मोबाइल फोन को जब्त कर लिया गया।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, आरोपी युवक से पूछताछ की जा रही है कि उसने यह वीडियो किस उद्देश्य से पोस्ट किया और फुटेज कहां से प्राप्त किया। फिलहाल यह माना जा रहा है कि उसने वायरल क्लिप किसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से डाउनलोड की थी।
कानूनी कार्रवाई
धूमनगंज थाने में आरोपी के खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 67, भड़काऊ सामग्री प्रसारित करने और लोक व्यवस्था भंग करने की आशंका में मुकदमा दर्ज किया गया है। पुलिस ने कहा कि किसी संवेदनशील या चल रहे आपराधिक मामले से जुड़ी सामग्री को बिना अनुमति सोशल मीडिया पर साझा करना कानूनन अपराध है।
एसपी सिटी ने कहा कि –
“उमेश पाल हत्याकांड जैसे संवेदनशील मामले में कोई भी व्यक्ति न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने या समाज में भय पैदा करने वाले वीडियो साझा करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सोशल मीडिया पर इस तरह का स्टेटस लगाना न सिर्फ गैरकानूनी है, बल्कि यह पीड़ित परिवार की भावनाओं के साथ खिलवाड़ भी है।”
पृष्ठभूमि : उमेश पाल हत्याकांड क्या था?
उमेश पाल, जो बाहुबली अतीक अहमद के खिलाफ गवाही देने वाले प्रमुख गवाह थे, की 24 फरवरी 2023 को प्रयागराज में उनके घर के बाहर गोली और बम से हत्या कर दी गई थी। इस मामले में अतीक अहमद और उसके बेटे असद सहित कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। बाद में पुलिस मुठभेड़ों और न्यायिक कार्रवाइयों में कई आरोपी मारे गए या जेल भेजे गए।
यह हत्याकांड पूरे प्रदेश में सनसनी का कारण बना था और कानून-व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर गया था।
सोशल मीडिया पर बढ़ती लापरवाही
इस घटना ने एक बार फिर सोशल मीडिया के गैर-जिम्मेदाराना इस्तेमाल पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अक्सर देखा गया है कि लोग चर्चित आपराधिक मामलों के वीडियो या फोटो को ट्रेंड या दिखावा करने के लिए अपलोड कर देते हैं, जो न केवल संवेदनशीलता की कमी दर्शाता है बल्कि कानून के दायरे में आने वाला अपराध भी है।
पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि किसी भी चल रही जांच या आपराधिक मामले से जुड़ी वीडियो क्लिप, फोटो या दस्तावेज़ सोशल मीडिया पर साझा न करें। ऐसा करना आईपीसी और आईटी एक्ट की कई धाराओं के तहत दंडनीय अपराध है।