
देहरादून |कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और चकराता से विधायक प्रीतम सिंह ने बुधवार को देहरादून स्थित पंचम अपर सिविल जज (जूडिशियल) की अदालत में आत्मसमर्पण किया। यह आत्मसमर्पण वर्ष 2020 में बिना अनुमति धरना देने के उस मुकदमे से जुड़ा है, जिसमें उनके साथ दर्जनों कांग्रेस नेताओं पर महामारी अधिनियम के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। अदालत ने आत्मसमर्पण के बाद प्रीतम सिंह और कांग्रेस नेत्री अनिता तिराला को 30-30 हजार रुपये के दो-दो जमानती बंधपत्रों पर जमानत दे दी।
घटना दिसंबर 2020 की — किसानों के समर्थन में सड़कों पर उतरे थे कांग्रेसजन
मामला 8 दिसंबर 2020 का है। उस समय केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ देशभर में किसान आंदोलन चल रहा था। उत्तराखंड कांग्रेस ने भी किसानों के समर्थन में प्रदर्शन करने का निर्णय लिया था।
उस दौरान कोरोना महामारी के चलते प्रदेश सरकार ने सभी तरह के धरना-प्रदर्शन और सार्वजनिक जमावड़े पर रोक लगा रखी थी। इसके बावजूद तत्कालीन कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह की अगुवाई में कांग्रेस भवन से घंटाघर तक मार्च निकाला गया।
इस प्रदर्शन में पार्टी के कई वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता और पदाधिकारी शामिल हुए थे। पुलिस ने मौके पर कोविड-19 प्रोटोकॉल के उल्लंघन और बिना अनुमति धरना आयोजित करने पर कार्रवाई की थी।
11 नेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज, पुलिस ने चार्जशीट दायर की
धरने के तुरंत बाद डालनवाला थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मुकदमे में पुलिस ने कुल 11 लोगों को आरोपी बनाया, जिनमें प्रमुख नाम थे —
- प्रीतम सिंह
- सूर्यकांत धस्माना
- मोहन भंडारी
- सुशील राठी
- सुमित भुल्लर
- नवीन जोशी
- राजेंद्र शाह
- कमर खान
- गरिमा दसौनी
- शांति रावत
- प्रमीला बडोनी
- और अनिता तिराला
पुलिस ने इन सभी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी थी। हालांकि कई बार अदालत में पेशी न होने पर प्रीतम सिंह और अनिता तिराला के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया था।
वारंट जारी होने के बाद किया आत्मसमर्पण
वारंट जारी होने की सूचना के बाद बुधवार को विधायक प्रीतम सिंह और अनिता तिराला अदालत में पेश हुए और आत्मसमर्पण कर दिया। इसके बाद अदालत ने दोनों की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए उन्हें राहत प्रदान की।
अदालत ने दोनों को ₹30,000 के दो-दो जमानती और समान राशि के बंधपत्रों पर रिहा करने का आदेश दिया।
राजनीतिक बयानबाज़ी तेज, कांग्रेस ने कहा – “यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा”
प्रीतम सिंह के आत्मसमर्पण के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इसे एक कानूनी औपचारिकता बताया और कहा कि यह किसी अपराध से जुड़ा मामला नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक विरोध का प्रतीक है।
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा —
“प्रीतम सिंह किसानों के समर्थन में खड़े हुए थे। यह मुकदमा उस दौर की राजनीतिक परिस्थितियों का परिणाम है। आज जब उन्होंने न्यायालय में आत्मसमर्पण किया, तो यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है।”
वहीं, भाजपा नेताओं ने इस पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया और कहा कि “कोरोना के सबसे कठिन समय में जब आम जनता घरों में कैद थी, तब कांग्रेस नेता कानून तोड़ रहे थे। उन्हें अब न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना ही होगा।”
कौन हैं प्रीतम सिंह?
प्रीतम सिंह उत्तराखंड के वरिष्ठतम कांग्रेस नेताओं में से एक हैं। वे कई बार विधायक रह चुके हैं और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र राजनीति से की और लंबे समय तक राज्य की राजनीति में सक्रिय रहे। वे उत्तराखंड विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं और वर्तमान में चकराता विधानसभा सीट से विधायक हैं।
कोरोना काल के राजनीतिक प्रदर्शन और मुकदमे
2020 में कोरोना की पहली लहर के दौरान उत्तराखंड में कई राजनीतिक दलों द्वारा प्रतिबंध के बावजूद धरना-प्रदर्शन किए गए थे। अधिकांश मामलों में महामारी अधिनियम, आपदा प्रबंधन अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए थे।
हालांकि अधिकांश नेताओं को बाद में जमानत मिल गई और कई मामलों में चार्जशीट दाखिल कर दी गई। प्रीतम सिंह और अनिता तिराला का यह मामला भी उन्हीं मामलों में से एक है, जो अब अदालत की प्रक्रिया में आगे बढ़ रहा है।
अगली सुनवाई में पेश होंगे सभी आरोपी
अदालत ने सभी आरोपियों को अगली सुनवाई की तारीख पर उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं। अब यह मामला आगे साक्ष्य और गवाहों की पेशी के चरण में जाएगा।