
भारत अपनी सीमाओं पर सुरक्षा कवच और मजबूत करने जा रहा है। उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर अब ऐसा एयर डिफेंस नेटवर्क तैयार होगा, जिससे पाकिस्तान, चीन और तुर्की की रातों की नींद उड़ सकती है। सेना अपनी निगरानी और रक्षा क्षमता को और अधिक उन्नत बनाने के लिए अत्याधुनिक रडार सिस्टम तैनात करने की योजना बना रही है। यह सिस्टम खासतौर पर छोटे और बेहद कम रडार क्रॉस-सेक्शन (RCS) वाले हवाई लक्ष्यों — जैसे ड्रोन, यूएवी और स्टेल्थ विमान — को पहचानने, ट्रैक करने और उन पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक सेना ने 45 लो-लेवल लाइट वेट रडार (एन्हांस्ड) [LLLR-E], 48 एयर डिफेंस फायर कंट्रोल रडार-ड्रोन डिटेक्टर (ADFCR-DD) और 10 अतिरिक्त लो-लेवल लाइट वेट रडार (उन्नत मॉडल) की मांग की है। इन सभी को भारतीय सेना के आकाशतीर वायु रक्षा नेटवर्क में जोड़ा जाएगा। आकाशतीर पहले से ही सीमाओं पर तैनात है और कई मौकों पर पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को विफल कर चुका है। रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, यह कदम उस पृष्ठभूमि में अहम है जब पाकिस्तान, चीन और तुर्की मिलकर ड्रोन तकनीक और निगरानी अभियानों को नए स्तर पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। पाकिस्तान ने पीओके और सीमा के पार आतंकी ठिकानों की सुरक्षा के लिए बड़े पैमाने पर ड्रोन और हमलावर यूएवी का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमलों के बाद भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत सीमा पार आतंकी ढांचे पर हवाई हमले किए थे। इसके जवाब में पाकिस्तान ने ड्रोन हमलों का सहारा लिया, लेकिन भारत ने आकाशतीर प्रणाली का उपयोग करके उन्हें नाकाम कर दिया।
नया रडार नेटवर्क युद्धक्षेत्र के कमांडरों को ‘आंखों की नई शक्ति’ देगा। इन रडारों की मदद से बेहद ऊंचाई पर उड़ने वाले या बेहद छोटे आकार वाले ड्रोन भी छिप नहीं पाएंगे। सेना को उम्मीद है कि यह सिस्टम न केवल घुसपैठ रोकने में मदद करेगा, बल्कि वास्तविक समय में प्रतिक्रिया देकर दुश्मन की रणनीति को ध्वस्त भी कर देगा। भारतीय सेना की यह योजना इस बात का संकेत है कि अब रक्षा तैयारी सिर्फ पारंपरिक हथियारों तक सीमित नहीं है। ड्रोन और स्टेल्थ टेक्नोलॉजी के दौर में भारत ने साफ कर दिया है कि वह हर मोर्चे पर मुकाबला करने को तैयार है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे ही ये नए रडार सिस्टम सीमाओं पर तैनात होंगे, चीन-पाकिस्तान-तुर्की की साझा रणनीति को गंभीर चुनौती मिलेगी और भारतीय सीमा पर निगरानी और भी अभेद्य हो जाएगी।