
बरेली| उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के आंवला कस्बे में एक निजी अस्पताल में प्रसव के बाद 23 वर्षीय महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। मृतका के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही और गलत इंजेक्शन लगाए जाने का आरोप लगाया है। गुस्साए परिजनों ने अस्पताल के बाहर हंगामा करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। घटना के बाद अस्पताल स्टाफ मौके से फरार हो गया, जबकि पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है।
प्रसूता की मौत के बाद अस्पताल में मचा कोहराम
मृतक महिला काजल की शादी दो साल पहले दिगोई गांव निवासी योगेंद्र से हुई थी। बुधवार देर रात जब काजल को प्रसव पीड़ा हुई तो उसे आंवला के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया। लेकिन मृतका के पिता श्याम पाल के अनुसार, वहां मौजूद आशा वर्कर ने कमीशन के लालच में काजल को पास के एक निजी अस्पताल में शिफ्ट करवा दिया। रात करीब दो बजे काजल ने ऑपरेशन के जरिए एक बेटे को जन्म दिया।
परिजनों के अनुसार, डिलीवरी के बाद अस्पताल स्टाफ ने कथित रूप से काजल को गलत इंजेक्शन लगा दिया, जिससे उसकी हालत तेजी से बिगड़ने लगी। आनन-फानन में अस्पताल प्रशासन ने एक निजी एंबुलेंस बुलाई और काजल को बरेली रेफर करने का बहाना बनाकर भेजने की तैयारी की। लेकिन जब परिवार के लोग मौके पर पहुंचे, तब तक काजल की मौत हो चुकी थी।
अस्पताल स्टाफ फरार, 22 हजार रुपये की वसूली का आरोप
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने इलाज के नाम पर 22 हजार रुपये की मोटी रकम वसूल ली, लेकिन काजल को उचित चिकित्सा नहीं दी गई। मौत की सूचना मिलते ही परिजन, रिश्तेदार और गांव के लोग बड़ी संख्या में अस्पताल पहुंचे और जमकर विरोध प्रदर्शन किया। परिजनों ने थाना पुलिस को तहरीर देकर अस्पताल पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
पहले भी हो चुकी है ऐसी घटना, सीज होने के बावजूद फिर से खुला अस्पताल
स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि दो साल पहले भी इसी अस्पताल में भीमपुर अख्तर नगर की एक महिला की प्रसव के दौरान संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी। उस समय भी परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया था, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल को सीज कर दिया था। लेकिन कुछ समय बाद विभागीय मिलीभगत से अस्पताल फिर से खुल गया और आज दोबारा एक जान चली गई।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर निजी अस्पतालों की कार्यप्रणाली और ग्रामीण स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। कमीशन, कमी सुविधाएं और लापरवाही की यह त्रासदी कोई पहली नहीं है। आशा वर्कर द्वारा सरकारी अस्पताल के बजाय निजी केंद्र पर प्रसव कराने के पीछे आर्थिक लाभ की मंशा ने एक नवजात को मां से और एक परिवार को बेटी से छीन लिया।
सीएमओ ने दिए जांच के आदेश
घटना की सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने प्राथमिक जांच के आदेश दिए हैं। सीएमओ ने कहा है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।