
एशिया के दक्षिण-पूर्व में दो पड़ोसी देशों — थाईलैंड और कंबोडिया — के बीच सदियों पुरानी सांस्कृतिक धरोहर अब एक खूनी संघर्ष का रूप ले चुकी है। दोनों देशों के बीच चल रहा प्राचीन सूर्य मंदिर (प्रीह विहियर) विवाद 24 जुलाई को अचानक हिंसक टकराव में बदल गया, जिसमें दर्जनों लोगों की जान चली गई और सीमा क्षेत्र एक बार फिर युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो गया।
📍 क्या है विवाद का मूल?
प्रीह विहियर मंदिर, जिसे सूर्य मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू मंदिर है जो कंबोडिया की सीमा में स्थित है। यह मंदिर 11वीं सदी में खमेर साम्राज्य द्वारा भगवान शिव को समर्पित कर बनाया गया था। लेकिन थाईलैंड लंबे समय से इसके आसपास के क्षेत्र पर अपना अधिकार जताता रहा है। 1962 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने स्पष्ट रूप से यह निर्णय दिया था कि मंदिर कंबोडिया के क्षेत्र में आता है, लेकिन थाईलैंड ने फैसले के कुछ हिस्सों पर आपत्ति जताते हुए इसे पूर्ण रूप से स्वीकार नहीं किया। तब से यह क्षेत्र विवाद और occasional सैन्य झड़पों का केंद्र बना हुआ है।
🔥 2025 में फिर से भड़का संघर्ष
गुरुवार, 24 जुलाई को तनाव उस समय चरम पर पहुंच गया, जब कंबोडियाई सेना ने थाईलैंड के सीमावर्ती क्षेत्रों पर तोपखाने से गोलाबारी की। इस हमले में कम से कम 11 थाई नागरिक और एक सैनिक की मौत हो गई, जबकि 24 नागरिक और सात सैन्यकर्मी घायल हुए। थाईलैंड ने जवाबी कार्रवाई में कंबोडियाई सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए और बॉर्डर पर F-16 लड़ाकू विमानों की तैनाती कर दी। कंबोडिया की ओर से अभी तक किसी हताहत की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं ने एक-दूसरे को पहले हमले के लिए दोषी ठहराया है।
🛕 मंदिर: धरोहर या अधिकार का प्रतीक?
सूर्य मंदिर आज केवल एक पुरातात्विक स्थल नहीं रह गया है। यह दोनों देशों की ऐतिहासिक पहचान, राष्ट्रीय स्वाभिमान और राजनीतिक अस्मिता का प्रतीक बन चुका है। मंदिर के प्रति जनता की भावना इतनी तीव्र है कि दोनों सरकारें इससे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।2008 में जब यूनेस्को ने इस मंदिर को विश्व धरोहर घोषित किया, तभी से विवाद और तीखा हो गया। थाईलैंड का आरोप है कि यह फैसला कंबोडिया के पक्ष में जल्दबाजी में लिया गया था, जबकि कंबोडिया इसे अपने सांस्कृतिक अधिकार का सम्मान मानता है।
🛡️ बढ़ती सैन्य तैयारी और सीमा पर तनाव
हाल के सप्ताहों में थाईलैंड ने मंदिर के पास नई सैन्य चौकियाँ स्थापित कीं, जिससे कंबोडिया ने कड़ी आपत्ति जताई। जवाब में कंबोडिया ने अपनी सेना को हाई अलर्ट पर रखते हुए सीमाई गांवों में सिविलियन निकासी भी शुरू कर दी है। सीमा के दोनों ओर हजारों सैनिक तैनात किए जा चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंदिर के आसपास की ज़मीन बारूदी सुरंगों और बंकरों से भर गई है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि दोनों देशों के नागरिक भी अपने-अपने देशों की सरकारों से युद्ध की तैयारी करने की मांग करने लगे हैं।
Thailand launched airstrikes on Cambodia on Thursday following a new border clash.
Fighting between the two countries has occurred intermittently for decades, but tensions began to climb last month after a Cambodian soldier was killed in a skirmish. https://t.co/O14SfG2ckk pic.twitter.com/8dKghOuTW3
— The Washington Post (@washingtonpost) July 24, 2025
🌐 अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र, आसियान (ASEAN) और कई वैश्विक संगठन लगातार दोनों देशों से संयम बरतने और बातचीत के जरिए समाधान निकालने की अपील कर रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने चेतावनी दी है कि अगर यह तनाव जल्द नहीं थमा, तो इसका असर पूरे दक्षिण-पूर्वी एशिया की स्थिरता पर पड़ सकता है। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि इस संघर्ष को केवल सैन्य ताकत से नहीं सुलझाया जा सकता, बल्कि दोनों पक्षों को ऐतिहासिक तथ्यों, न्यायिक निर्णयों और सांस्कृतिक विरासत के सम्मान के साथ समाधान की ओर बढ़ना होगा।
📢 क्या आगे होगा शांति या युद्ध?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह विवाद शांतिपूर्ण कूटनीति के जरिए सुलझेगा या इतिहास खुद को एक और खूनी संघर्ष के रूप में दोहराएगा? सूर्य मंदिर, जो कभी सभ्यता, कला और धार्मिक आस्था का केंद्र था, आज हथियारों की छाया में खड़ा है।
The war between Thailand and Cambodia intensified on Day-2.
Cambodian Army OPENS fire on Thai forces at new places, MBRL & Artillery shelling also being done on each other along the disputed border. pic.twitter.com/lpR7EiGRiJ— Baba Banaras™ (@RealBababanaras) July 25, 2025
यह समय है जब विश्व समुदाय को सक्रियता से मध्यस्थता करनी चाहिए और इस सांस्कृतिक धरोहर को एक बार फिर एकता, संवाद और साझा विरासत का प्रतीक बनाना चाहिए — न कि युद्ध और मौत का मैदान। सूर्य मंदिर को लेकर उठा यह नया संघर्ष केवल दो देशों की सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे एशिया की शांति, सांस्कृतिक चेतना और मानवता की परीक्षा बन चुका है। अब यह देखने की बारी है कि बुद्धि और संवाद की जीत होती है या फिर बारूद और गोलियों की।