
देहरादून। प्रदेशभर में लगातार हो रही बारिश के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। भारी भूस्खलन और चट्टानों के गिरने से राज्य में दो राष्ट्रीय राजमार्गों समेत कुल 54 सड़कें बंद हो गई हैं। इससे जहां आम नागरिकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया भी प्रभावित हो रही है। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से प्राप्त जानकारी के अनुसार, चमोली जिले में जोशीमठ-मलारी-नीती राष्ट्रीय राजमार्ग भापकुंड के पास चट्टान गिरने से बंद हो गया है। यही नहीं, इस हाईवे के अवरुद्ध होने से मंगलवार को जोशीमठ से रवाना की गईं 11 पोलिंग पार्टियां देर शाम तक अपने-अपने मतदान स्थलों तक नहीं पहुंच पाईं। इससे पहले चरण के चुनाव की तैयारियों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
इसी प्रकार, पिथौरागढ़ जिले में घटियाबगड़-लिपुलेख-गुंजी राष्ट्रीय राजमार्ग पर लमारी के पास मलबा आ गया है, जिससे यह मार्ग पूरी तरह से बाधित हो गया है। यह मार्ग रणनीतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। राज्यभर के अन्य जिलों की बात करें तो उत्तरकाशी में पांच, टिहरी में छह, रुद्रप्रयाग में सात, पिथौरागढ़ में नौ, पौड़ी में 11, नैनीताल में एक, देहरादून में तीन, चमोली में 10, और अल्मोड़ा व बागेश्वर में एक-एक सड़क फिलहाल बंद पड़ी है।
चुनाव पर असर और आपदा प्रबंधन की चुनौतियां
पहाड़ों में हो रही लगातार बारिश और सड़कें बंद होने से न केवल यातायात बाधित हुआ है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में पोलिंग पार्टियों का समय पर पहुंचना भी एक बड़ी चुनौती बन गया है। निर्वाचन आयोग ने पहले ही चेताया था कि दूरस्थ क्षेत्रों में संचार बाधाओं के चलते पुलिस वायरलेस और सेटेलाइट फोन से ही सूचनाएं भेजी जाएंगी। अब जबकि सड़कों की स्थिति और खराब हो गई है, तो नोडल अफसरों और आपदा प्रबंधन विभाग की जिम्मेदारियां और बढ़ गई हैं।
स्थानीय जनता परेशान
सड़कें बंद होने से स्थानीय लोगों को इलाज, आवश्यक सामग्री और कार्यालयों तक पहुंचने में दिक्कत हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित अस्पतालों तक ऐंबुलेंस पहुंचना भी मुश्किल हो गया है। कई क्षेत्रों में दूध, सब्जी और राशन की आपूर्ति बाधित है।
लोक निर्माण विभाग अलर्ट मोड में
लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारियों को सभी प्रभावित मार्गों को जल्द से जल्द खोलने के निर्देश दिए गए हैं। मलबा हटाने का कार्य युद्ध स्तर पर शुरू कर दिया गया है, लेकिन लगातार बारिश से काम में बाधा आ रही है। वहीं, जिलाधिकारी और पुलिस प्रशासन भी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। बारिश के कारण पहाड़ी राज्यों में सड़कें बंद होना कोई नई बात नहीं है, लेकिन चुनाव जैसे अहम कार्यों के समय यह स्थिति और भी संवेदनशील हो जाती है। सरकार और प्रशासन को चाहिए कि वे ऐसे आपातकालीन समय में वैकल्पिक व्यवस्थाएं और त्वरित कार्ययोजना के साथ सक्रिय रहें, ताकि जनजीवन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया दोनों सुरक्षित रह सकें।