
फर्रुखाबाद (उत्तर प्रदेश)। पत्नी और ससुरालियों के सामने चौकी में पिटाई और बेइज्जती से आहत एक युवक ने खुदकुशी कर ली। मृतक ने आत्महत्या से पहले अपनी पैंट पर पेन से सुसाइड नोट लिखा, जिसमें पुलिसकर्मियों और ससुराल पक्ष द्वारा किए गए उत्पीड़न और अपमान का विस्तार से उल्लेख किया गया है। घटना मऊदरवाजा थाना क्षेत्र के छेदा नगला गांव की है, जहां 25 वर्षीय दिलीप राजपूत ने सोमवार की रात फंदा लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
चौकी में पिटाई और ससुरालियों के सामने अपमान
दिलीप की पत्नी नीरज ने थाने में शिकायत दी थी कि दिलीप शराब के नशे में मारपीट करता है। इसी शिकायत के आधार पर सोमवार दोपहर उसे हथियापुर चौकी बुलाया गया। परिजनों के अनुसार, वहां मौजूद सिपाहियों यशवंत यादव और महेश उपाध्याय ने दिलीप को उसकी पत्नी और ससुरालियों के सामने बुरी तरह पीटा। पिता रामरहीस राजपूत का कहना है कि सिपाही यशवंत ने दिलीप को अंदर ले जाकर पीटा और गेट पर खड़े सिपाही महेश ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। आरोप है कि बेटे को छोड़ने के बदले 50 हजार रुपये की मांग की गई और बाद में 40 हजार रुपये में समझौता हुआ। परिजन किसी तरह उधार लेकर यह राशि चौकी में पहुंचाए, तब जाकर दिलीप को छोड़ा गया।
पैंट पर लिखा गया सुसाइड नोट
दिलीप ने आत्महत्या से पहले पैंट उतारकर उस पर पेन से सुसाइड नोट लिखा और फिर उसे पहन लिया। सुसाइड नोट में उसने अपने नाम, पते के साथ यह भी लिखा कि उसे किन-किन लोगों ने पीटा और अपमानित किया। उसने अपनी पत्नी नीरज पर भी पुलिसकर्मियों से पिटवाने का आरोप लगाया। नोट में लिखा गया— “हम भी लूटें, तुम भी लूटो… इनकी लूट कोई न जाने, जिनके सिर पर खाकी…” इस नोट में आरोपी सिपाही यशवंत यादव, महेश उपाध्याय, कथित भाजपा नेता रजनेश राजपूत, ससुर बनवारी लाल और साले राजू के नाम दर्ज थे। अपनी पहचान के लिए दिलीप ने यह भी लिखा कि वह अपनी मां की दी हुई निशानी की बाली पहन रहा है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मौत के कारण
मंगलवार को पुलिस की मौजूदगी में पोस्टमार्टम हुआ जिसमें मौत का कारण फांसी लगने से दम घुटना बताया गया। हालांकि शव के मुंह से झाग निकल रहा था, जिससे जहर खाने की आशंका भी जताई गई। परंतु कमरे से कोई जहरीला पदार्थ नहीं मिला।
परिजनों का विरोध और हंगामा
घटना की सूचना पर पहुंचे सीओ सिटी ऐश्वर्या उपाध्याय और थानाध्यक्ष बलराज भाटी को परिजनों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। परिजनों ने शव उठाने से इनकार करते हुए आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। स्थिति तब बिगड़ गई जब महिलाओं ने महिला सिपाहियों को धक्का देकर घर से बाहर निकाल दिया। हंगामा बढ़ने पर कई थानों से फोर्स बुलाया गया। एसपी डॉ. संजय कुमार सिंह के आदेश पर सभी नामजद आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और आरोपी सिपाहियों को लाइन हाजिर कर दिया गया।
आरोपी भाजपा नेता की रसूखदारी
जिस रजनेश राजपूत का नाम एफआईआर में दर्ज किया गया है, वह कथित रूप से भाजपा से जुड़ा बताया जा रहा है और सांसद प्रतिनिधि लिखी हुई गाड़ी में घूमता है। मृतक के परिजनों का आरोप है कि उसी ने चौकी में दिलीप को बुलवाकर पुलिस से पिटवाया और रुपये मंगवाए। सांसद के भतीजे राहुल राजपूत ने मौके पर पहुंचकर परिवार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया, जिसके बाद ही परिजन शव उठाने को राजी हुए।
एफआईआर और कानूनी कार्रवाई
दिलीप के पिता रामरहीस की तहरीर पर दर्ज रिपोर्ट में भारतीय दंड संहिता की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 115(2) (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत केस दर्ज किया गया है।
यह मामला एक बार फिर पुलिसिया अत्याचार, राजनीतिक संरक्षण और वैवाहिक विवादों में पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े करता है। घटना ने स्थानीय प्रशासन, पुलिस व्यवस्था और समाज की संवेदनशीलता को कटघरे में ला खड़ा किया है। अब देखना यह होगा कि इस मामले में निष्पक्ष जांच होती है या रसूखदारों के दबाव में न्याय एक बार फिर दम तोड़ता है।