
उत्तराखंड में जुलाई माह में होने वाले पंचायत चुनावों पर मानसून का असर साफ दिखने लगा है। प्रदेश के कई हिस्सों में भारी बारिश के चलते सड़कों के बंद होने की खबरों के बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनावों की तैयारियों को लेकर सतर्कता बढ़ा दी है। आयोग ने साफ किया है कि अगर ज़रूरत पड़ी तो पोलिंग पार्टियों को हेलिकॉप्टर के माध्यम से मतदान केंद्रों तक पहुंचाया जाएगा।
राज्य निर्वाचन आयुक्त सुशील कुमार ने बताया कि बारिश और भूस्खलन के चलते कई क्षेत्रों में सड़क संपर्क टूटने की आशंका है। ऐसे में सभी जिलाधिकारियों से आपदा प्रबंधन की विस्तृत कार्य योजना मांगी गई है। 7 जुलाई को सभी डीएम के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से एक बैठक आयोजित की जाएगी, जिसमें वे अपनी ज़िलों की स्थिति, तैयारियां और जरूरतों की जानकारी देंगे।
निर्वाचन आयोग ने फिलहाल शासन को कोई प्रस्ताव नहीं भेजा है, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि सड़कें टूटी हुई मिलीं या विशेष परिस्थिति उत्पन्न हुई, तो हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करके पोलिंग पार्टियों और जरूरी सामग्री को समय पर मतदान केंद्रों तक पहुंचाया जाएगा।
प्रदेश में पंचायत चुनाव दो चरणों में होंगे — पहला चरण 24 जुलाई को और दूसरा 28 जुलाई को प्रस्तावित है। इसी दौरान प्रदेश में मानसून की सक्रियता भी बनी रहने की संभावना है। मौसम विभाग से लगातार अपडेट लिया जा रहा है, ताकि चुनावी तैयारियों में किसी तरह की बाधा न आए।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर आपदा प्रबंधन विभाग पहले ही दो हेलिकॉप्टर को स्टैंडबाय पर रख चुका है। ये हेलिकॉप्टर किसी भी आपदा के समय राहत पहुंचाने के लिए तैयार हैं और जरूरत पड़ने पर इन्हें पंचायत चुनावों में भी लगाया जा सकता है।
राज्य निर्वाचन आयोग का यह कदम यह दर्शाता है कि प्रशासन किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित नहीं होने देना चाहता। चुनावी अमले और मतदाताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।