
उत्तराखंड के चमोली जनपद में शुक्रवार रात से लगातार हो रही तेज बारिश ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। बारिश के चलते कई जगहों पर भूस्खलन और गदेरों के उफान से हालात भयावह हो गए हैं। बदरीनाथ हाईवे पर मलबा आने के कारण यातायात बाधित हो गया है, जबकि गांवों में मलबा घुसने से जान-माल का भारी नुकसान हुआ है।
बदरीनाथ हाईवे पर भूस्खलन, वाहन मलबे में फंसे
नंदानगर क्षेत्र के पर्थाडीप में भूस्खलन के कारण एक तीर्थयात्रियों का वाहन मलबे में फंस गया था, हालांकि समय रहते यात्रियों को सुरक्षित निकाल लिया गया। बाद में जेसीबी मशीन की मदद से वाहन को बाहर निकाला गया। क्षेत्रपाल में हाईवे को वैकल्पिक रूप से खोला गया है, जहां पहले दोपहिया और अब धीरे-धीरे बड़े वाहनों की आवाजाही शुरू की जा रही है। पीपलकोटी के समीप भनेरपाणी क्षेत्र में अभी भी मलबा हटाने का कार्य युद्धस्तर पर जारी है।
गांव में तबाही: तीन गौशालाएं ध्वस्त, मवेशी मरे
थिरपाक गांव की अनुसूचित जाति बस्ती सबसे अधिक प्रभावित हुई है। शुक्रवार रात करीब एक बजे नौलाकलाना गदेरा उफान पर आ गया, जिससे रघु लाल, बलवीर लाल और गरीब लाल की तीन गौशालाएं मलबे में दब गईं। हादसे में दो बैल और सात बकरियों की मौत हो गई। इन परिवारों के मकानों को भी गंभीर नुकसान पहुंचा है।
ग्रामीणों ने अस्पताल में ली शरण
गदेरे के तेज बहाव और मलबे से जान बचाने के लिए गांव के कई लोगों ने नजदीकी सरकारी अस्पताल में शरण ली। सुबह बारिश थमने पर जब लोग अपने घर लौटे तो देखा कि उनकी कृषि भूमि पूरी तरह मलबे से पट चुकी है। मंडुवा, झंगोरा, गेहूं और मक्का की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो चुकी हैं।
राशन और जरूरी सामान भी तबाह
मनोहर लाल और सज्जन लाल के घरों में मलबा घुसने से राशन और जरूरी सामान नष्ट हो गया। गांव के लोगों ने प्रशासन से राहत सहायता की मांग की है और कहा है कि नुकसान का मुआवजा जल्द दिया जाए।
प्रशासन अलर्ट पर, बचाव कार्य जारी
प्रशासनिक टीमें मौके पर राहत और बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं। अधिकारियों का कहना है कि प्रभावित क्षेत्रों में फौरन सहायता पहुंचाई जा रही है और स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है। यह घटना राज्य में मानसूनी तबाही की गंभीरता को दर्शाती है। चमोली जैसे पर्वतीय जिलों में भूस्खलन और गदेरों का उफान हर साल जानलेवा साबित हो रहा है, जिससे ग्रामीणों का जीवन संकट में पड़ जाता है।