
देहरादून। शहर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, दून अस्पताल के बाहर स्थित एक मजार को शुक्रवार देर रात प्रशासन द्वारा जमींदोज कर दिया गया। यह कार्रवाई भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच रात के अंधेरे में की गई, ताकि कानून-व्यवस्था की स्थिति न बिगड़े और किसी प्रकार का विरोध या अशांति न फैले। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, इस मजार को अवैध रूप से स्थापित किया गया था और पिछले वर्ष किसी स्थानीय निवासी ने इसकी शिकायत की थी। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि यह ढांचा सार्वजनिक भूमि पर बिना किसी वैध अनुमति के बनाया गया है। इसके बाद संबंधित विभागों द्वारा मजार की वैधता की जांच शुरू की गई थी।
जांच के दौरान मजार के खादिम से दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा गया, लेकिन वह कोई वैध दस्तावेज पेश नहीं कर सके। मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने उन्हें नोटिस जारी किया था, जिसमें दस्तावेजों के अभाव में मजार को हटाने की चेतावनी दी गई थी। शुक्रवार की देर रात, प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में बुलडोजर द्वारा मजार को हटाने की कार्रवाई की गई। इस दौरान देहरादून पुलिस के साथ ही प्रशासनिक अमला भी मौके पर मौजूद था। एहतियातन आसपास के इलाकों में पुलिस बल तैनात किया गया था ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
प्रशासन का कहना है कि यह कदम अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया का हिस्सा है और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है। अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि किसी भी धर्म या समुदाय के अवैध निर्माण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और आगे भी इसी प्रकार की कार्रवाइयाँ जारी रहेंगी। वहीं दूसरी ओर, कुछ स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई पर नाराजगी जताई और आरोप लगाया कि यह कार्रवाई चुनिंदा तरीके से की गई है। उनका कहना है कि शहर में कई अन्य धार्मिक ढांचे भी सार्वजनिक स्थानों पर बने हुए हैं, लेकिन उन्हें अब तक नहीं छुआ गया।
इस मामले ने शहर में एक बार फिर ‘अवैध धार्मिक निर्माण बनाम कानून व्यवस्था’ की बहस को जन्म दे दिया है। प्रशासन की तरफ से यह संकेत स्पष्ट है कि किसी भी धार्मिक पहचान वाले ढांचे को कानून के दायरे से बाहर नहीं रखा जाएगा, चाहे वह किसी भी धर्म से संबंधित क्यों न हो। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में प्रशासन ऐसी ही और कार्रवाइयों को किस तरह अंजाम देता है और क्या यह मामला राजनीतिक और सामाजिक विवाद का कारण बनेगा या नहीं।