
देहरादून में भारतीय योग संस्थान ने अपने 59वें स्थापना दिवस को पूरे उत्साह और उमंग के साथ मनाया। श्री राजराजेश्वरी पब्लिक स्कूल और ग्लेशियर पब्लिक स्कूल के योग साधकों ने एकजुट होकर इस अवसर को यादगार बनाया। योग की शक्ति और इसके जीवन में महत्व को रेखांकित करते हुए, यह समारोह न केवल एक उत्सव था, बल्कि एक संदेश भी था कि योग हमारी संस्कृति की अमूल्य धरोहर है। इस खास मौके पर पद्मश्री और उत्तराखंड रत्न से सम्मानित डॉ. श्रीमती माधुरी बर्थवाल ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। उनके साथ विशिष्ट अतिथि आचार्य श्री नथी प्रसाद उनियाल ने दीप प्रज्वलन कर समारोह की शुरुआत की। दोनों ने अपने प्रेरक भाषणों में योग के महत्व को समझाया। डॉ. बर्थवाल ने कहा कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि मन, शरीर और आत्मा को जोड़ने की कला है। उन्होंने साधकों की मेहनत की सराहना की और सभी को रोजाना योग करने का संदेश दिया। आचार्य उनियाल ने जोड़ा कि आज की तनावपूर्ण जिंदगी में योग हमें संतुलन और शांति देता है।
योग का अर्थ है जोड़ना—शरीर को मन से, मन को आत्मा से। यह समारोह इस बात का जीवंत उदाहरण था कि कैसे योग हमें स्वस्थ और सकारात्मक बनाता है। प्राणायाम, ध्यान और योगासन के सत्रों ने सभी को ऊर्जा से भर दिया। खास तौर पर योगा डांस ने उपस्थित लोगों का दिल जीत लिया। यह नृत्य न केवल मनोरंजक था, बल्कि योग की लयबद्धता को भी दर्शाता था। साधकों ने योग के स्वास्थ्य लाभों, जैसे तनाव कम करने और शारीरिक लचीलापन बढ़ाने, के बारे में भी जाना। भारतीय योग संस्थान पिछले 59 सालों से योग को जन-जन तक पहुंचाने में जुटा है। इस अवसर पर संस्थान की पत्रिका योग मंजरी के हड्डी रोग विशेषांक का परिचय भी दिया गया। यह पत्रिका योग के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करती है। साधकों को संस्थान के इतिहास और इसके योगदान के बारे में बताया गया, जिसने सभी में गर्व की भावना जागृत की। यह जानकर गर्व हुआ कि भारत की इस प्राचीन विद्या को आज पूरी दुनिया अपनाने लगी है।
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हम अक्सर अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देते हैं। इस समारोह ने हमें याद दिलाया कि स्वस्थ शरीर ही स्वस्थ मन का आधार है। 80 से अधिक योग साधकों ने इस आयोजन में हिस्सा लिया और संकल्प लिया कि वे न केवल खुद योग करेंगे, बल्कि दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करेंगे। यह संकल्प न केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए, बल्कि समाज के समग्र कल्याण के लिए भी महत्वपूर्ण है। इस समारोह में डॉ. आर के भट्ट, मदन बिजलवान, श्रीमती विनीता चौहान, श्रीमती अनीता रावत, अनुज कुमार और खेमराज उनियाल जैसे गणमान्य लोग शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में योग को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाने की बात कही। यह दिन न केवल योग के प्रति जागरूकता बढ़ाने वाला था, बल्कि एकता और उत्साह का प्रतीक भी बना। देहरादून के इस आयोजन ने साबित कर दिया कि योग सिर्फ व्यायाम नहीं, बल्कि एक खुशहाल जीवन का रास्ता है।