कांग्रेस नेता और लोकसभा नेता राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश के महू में ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान’ रैली के दौरान भारत में निजीकरण पर निशाना साधा और आम लोगों को होने वाले नुकसान गिनाए। उन्होंने पूछा कि जब आईआईटी और आईआईएम के छात्रों को रोजगार नहीं मिल रहा है तो दूसरों को नौकरी कैसे मिलेगी। अपने संबोधन के दौरान उन्होंने पूछा कि लोग निजी अस्पतालों में इलाज कराते हैं और अपने बच्चों को निजी स्कूल-कॉलेजों में भेजते हैं लेकिन इस निजीकरण का मालिक कौन है? लोकसभा नेता प्रतिपक्ष ने भारतीय शिक्षा प्रणाली पर जोर दिया और कहा कि इसे एक स्टांप प्रणाली में बदल दिया गया है जहां माता-पिता प्रमाणन प्राप्त करने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करते हैं।
गांधी ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य प्रणाली के निजीकरण का मालिक कौन है? भारतीय शिक्षा प्रणाली स्टांप की प्रणाली है, प्रमाणन की प्रणाली है। करोड़ों लोग सोचते हैं कि ऐसे प्रमाणन के बाद, अरबपतियों को लाखों रुपये देने के बाद उनके बच्चों को रोजगार मिलेगा। यह सफेद झूठ है। आपके बच्चों को इस देश में रोजगार नहीं मिल सकता, चाहे वे कुछ भी कर लें। अरबपतियों ने देश की रोजगार व्यवस्था को नष्ट कर दिया है।
आज़ादी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर थी क्योंकि उसके बाद पहली बार हिंदुस्तान के दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों और गरीबों को संविधान द्वारा अधिकार मिले। मगर, मोहन भागवत कहते हैं कि वो सच्ची आज़ादी नहीं थी – वो इसलिए क्योंकि बीजेपी और आरएसएस भारत के संविधान को नहीं मानते। वो बहुजनों और गरीबों से उनके अधिकार छीन कर उन्हें फिर से ग़ुलाम बनाना चाहते हैं। मोहन भागवत ने कुछ दिन पहले संविधान का अपमान किया।
उनके मुताबिक देश को जो आजादी मिली, वो सच्ची आजादी नहीं थी। इसका मतलब है कि मोहन भागवत संविधान को नहीं मानते हैं। उन्होंने बाबा साहेब अंबेडकर जी, संविधान का अपमान किया है। कांग्रेस के बब्बर शेरों का काम संविधान की रक्षा करना है। बीजेपी आरएसएस के लोग जहां भी संविधान का अपमान करते हुए दिखें, वहां उन्हें चट्टान की तरह खड़ा होना है। मैं उन सभी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देता हूं, जो हमारी विचारधारा और संविधान के लिए लड़ते हैं।