देहरादून। मदरसों के आधुनिकीकरण की दिशा में उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने कदम बढ़ाए हैं। बोर्ड के अंतर्गत देहरादून में पहला आधुनिक मदरसा तैयार हो गया है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर इसका नामकरण किया गया है। मदरसा में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा। वहां अरबी के साथ ही विज्ञान व संस्कृत भी बच्चे पढ़ेंगे। अप्रैल में इस सत्र से यह मदरसा शुरू होगा, जिसमें प्रथम चरण में एक-छह तक की कक्षाएं संचालित की जाएंगी।
उत्तराखंड में वर्तमान में 419 मदरसे पंजीकृत हैं, जिनमें से 117 का संचालन वक्फ बोर्ड करता है। बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स के अनुसार बोर्ड के अंतर्गत संचालित मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे भी डॉक्टर, इंजीनियर बन सकें, इसके दृष्टिगत इनके आधुनिकीकरण का निश्चय किया गया है। मदरसों में एनसीईआरटी का पाठयक्रम लागू किया जाएगा। प्रथम चरण में बोर्ड ने 10 मदरसों के आधुनिकीकरण का लक्ष्य रखा है। इस कड़ी में देहरादून में रेलवे स्टेशन स्थित मुस्लिम कालोनी में पहला आधुनिक मदरसा तैयार हो गया है।
आगामी शैक्षणिक सत्र से इसे प्रारंभ किया जाएगा। निकाय चुनाव के बाद अन्य मदरसों को आधुनिक बनाने की दिशा में आगे बढ़ा जाएगा। उधर, वक्फ बोर्ड के सीईओ सैय्यद सिराज उस्मान ने बताया कि आधुनिक मदरसा में पढ़ाई के लिए छह कक्षों के अलावा कंप्यूटर कक्ष, मीटिंग हॉल, स्टाफ रूम का भी निर्माण किया गया है। मदरसा के निर्माण में 50 लाख रुपये की लागत आई है। उन्होंने बताया कि मार्च से मदरसा में दाखिले की प्रकिया शुरू होंगे और अप्रैल से सत्र प्रारंभ हो जाएगा। मदरसा की क्षमता लगभग 200 छात्र-छात्राओं की है।
वहीं प्रदेश में बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर सरकार काफी गंभीर हैष राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक स्वाति भदौरिया ने कहा कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत नवजात शिशुओं एवं छोटे बच्चों को निश्शुल्क चिकित्सा सुविधा दी जा रही है। इसके अलावा जन्मजात गंभीर हृदय रोग, न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट, श्रवण बाधा, मोतियाबिंद, कटे होंठ और तालू, टेडे पैर जैसी गंभीर बामारियों का निश्शुल्क इलाज किया जा रहा है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में वर्तमान में डीईआइसी केंद्र के माध्यम से पांच हजार से अधिक बच्चों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जा चुकी है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत संचालित राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम एवं डिस्ट्रिक अर्ली इंटरर्वेंशन सेंटर के सुदृढ़ीकरण के लिए राज्य स्तरीय निगरानी समिति का गठन किया गया है। शनिवार को समिति की पहली बैठक की अध्यक्षता मिशन निदेशक स्वाति भदौरिया ने की। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के प्रभावी संचालन के लिए विभिन्न स्तरों पर कार्य किया जा रहा है। जिसमें आशा कार्यकर्ता जन्म से छह सप्ताह तक के बच्चों के घर जाकर, राज्य के 148 मोबाइल हेल्थ टीम आंगनबाड़ी केंद्र और सरकारी एवं सहायता प्राप्त अशासकीय में जाते हैं और 18 वर्ष तक के युवाओं का निरंतर स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। बीमारी से ग्रसित बच्चों को उच्च चिकित्सा इकाई पर विशिष्ट उपचार के लिए भेजा जाता है।