तिब्बत के तिंगरी जिले में एक शक्तिशाली भूकंप ने तबाही मचा दी। भूकंप ने तिब्बत, नेपाल, भूटान और भारत के कई हिस्सों में जोरदार झटके भेजे, जिससे 53 लोगों की मौत हो गई और 60 से ज्यादा लोग घायल हो गए। इस भूकंप की तीव्रता 6.8 थी और यह सुबह 9:05 बजे (0105 GMT) के आसपास आया। इस भूकंप का केंद्र तिब्बत के तिंगरी में था, जो एवरैस्ट क्षेत्र का उत्तरी प्रवेश द्वार है। चीन के भूकंप नेटवर्क केंद्र (CENC) द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार, इस भूकंप की गहराई 10 किलोमीटर (6.2 मील) थी। भूकंप का असर तिब्बत के अलावा नेपाल, भारत और भूटान में भी महसूस किया गया। भूकंप की तीव्रता और इसके झटके इतनी भयानक थे कि आसपास के इलाकों में कई इमारतें ढह गईं और लोग भारी नुकसान का शिकार हुए।
चीन की सरकारी टेलीविजन चैनल CCTV ने बताया कि तिब्बत के तिंगरी इलाके के करीब पांच किलोमीटर के दायरे में कई गांवों को भारी नुकसान हुआ। इन गांवों में रहने वाले लोग घरों के मलबे में दब गए, जिसके कारण कई लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हुए। तिंगरी जिले से करीब 380 किलोमीटर दूर ल्हासा, तिब्बत की राजधानी स्थित है। इस भूकंप के बाद राहत और बचाव कार्य तेज़ी से शुरू कर दिए गए हैं, लेकिन इलाके की दुर्गम स्थिति के कारण बचाव कार्य में चुनौतियां आ रही हैं। इस भूकंप के झटके नेपाल और भारत के कई हिस्सों में महसूस किए गए। नेपाल के हिमालय क्षेत्र और भारतीय राज्य बिहार, उत्तर प्रदेश, और दिल्ली-एनसीआर में भी लोगों ने भूकंप के तेज झटके महसूस किए। नेपाल और भारत में भी नुकसान की रिपोर्टें सामने आई हैं, हालांकि अभी तक किसी बड़े नुकसान की जानकारी नहीं आई है। दिल्ली में सुबह के समय कार्यालयों और घरों में लोग भूकंप के झटकों से सहम गए, लेकिन किसी प्रकार की बड़ी हानि नहीं हुई।
अमेरिकी भूगर्भीय सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, तिब्बत क्षेत्र में पिछले 100 वर्षों में 10 से अधिक भूकंप आए हैं, जिनकी तीव्रता 6 या उससे अधिक रही है। इस क्षेत्र की भूगर्भीय स्थिति बहुत ही सक्रिय है, जहां भारतीय प्लेट और यूरेशियाई प्लेट एक-दूसरे से टकराती हैं, जिससे हिमालय पर्वत श्रृंखला का निर्माण हुआ है। यही कारण है कि यहां पर अक्सर भूकंप आते हैं, जो कभी-कभी बेहद शक्तिशाली हो सकते हैं। तिब्बत और नेपाल क्षेत्र भूकंपीय दृष्टि से बहुत संवेदनशील हैं, क्योंकि यह इलाका प्लेटों के टकराने वाले क्षेत्रों के पास स्थित है। नेपाल और भारत में 2015 में आए एक भयंकर भूकंप की यादें ताजा हो गईं, जब नेपाल में 7.8 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई थी। उस भूकंप में करीब 9,000 लोग मारे गए थे और 22,000 से अधिक लोग घायल हुए थे। इसके अलावा लाखों घर नष्ट हो गए थे। इस बार के भूकंप ने भी यह साबित कर दिया है कि इस क्षेत्र में भूकंप का खतरा कभी भी मंडरा सकता है, और इसके लिए उपयुक्त तैयारी जरूरी है।
भूकंप के बाद तिब्बत, नेपाल, और भारत में राहत और बचाव कार्य तेज़ी से चल रहे हैं। चीन और नेपाल दोनों ही देशों ने अपने-अपने क्षेत्रों में बचाव दल भेजे हैं, और घायल लोगों को अस्पतालों में भेजा जा रहा है। तिब्बत के ग्रामीण क्षेत्रों में फंसे हुए लोगों तक राहत पहुँचाने के लिए हवाई जहाज और हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है। तिब्बत के इस इलाके में सड़कें और संचार नेटवर्क पहले से ही कमजोर हैं, जिसके कारण राहत कार्य में देरी हो रही है। नेपाल और भारत के अधिकारियों ने भी अपनी सीमाओं पर निगरानी बढ़ा दी है और अपने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। इस भूकंप का केंद्र तिब्बत के तिंगरी जिले में स्थित था, जो नेपाल और तिब्बत की सीमा के पास है। यह क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से अत्यधिक सक्रिय है, क्योंकि यहां भारतीय प्लेट और यूरेशियाई प्लेट मिलती हैं। इस भूकंप के कारण हिमालय क्षेत्र में ऊंचाई में बदलाव भी हो सकता है, क्योंकि इन प्लेटों के टकराने से पर्वतों का निर्माण होता है और कभी-कभी उनकी ऊंचाई में उतार-चढ़ाव भी होता है।
इस भूकंप ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हिमालयी क्षेत्र में भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है। तिब्बत, नेपाल, और भारत के लोग भूकंप के खतरे के प्रति हमेशा सतर्क रहते हैं, लेकिन इस तरह के भूकंपों की संभावना को पूरी तरह से नकारा नहीं किया जा सकता। इस घटना ने यह भी दर्शाया है कि भूकंप के समय त्वरित राहत और बचाव कार्यों की अहमियत कितनी अधिक है। अब तक, 53 मौतों की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 60 से अधिक लोग घायल हुए हैं। उम्मीद की जा रही है कि समय रहते राहत कार्यों के चलते और भूकंप प्रभावित इलाकों में सहायता पहुंचाने से अधिक नुकसान को रोका जा सकेगा