अल्मोड़ा। अल्मोड़ा नगर में जाम की समस्या से मुक्ति दिलाने के साथ 10 से अधिक गांवों को जोड़ने के लिए बनने वाला क्वारब-कोसी बाईपास का निर्माण 15 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका। 17 किमी लंबे बाईपास को पूरा करने के लिए बजट की कमी आड़े आ रही है। सड़क को पूरा करने को बजट के लिए भेजा गया प्रस्ताव फाइल में धूल फांक रहा है और नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के लोग बाईपास का इंतजार कर रहे हैं।
अल्मोड़ा नगर की संकरी सड़कों पर आए दिन लगने वाले जाम से मुक्ति दिलाते हुए पिथौरागढ़, रानीखेत, सोमेश्वर, बागेश्वर आवाजाही करने वाले वाले यात्रियों के साथ ही पर्यटकों की आवाजाही सुगम बनाने के लिए वर्ष 2008 में 17 किमी लंबे क्वारब-कोसी बाईपास का 5.25 करोड़ रुपये से निर्माण शुरू हुआ। पूरा बजट खर्च होने के बाद भी 15 वर्षों में सिर्फ 15 किमी सड़क की कटिंग हो सकी है।
इस पूरे बाईपास के लिए वर्ष 2017 का लक्ष्य तय था। पूरा बजट खर्च होने के बाद भी बजट की कमी हो रही है। वर्ष 2021 में एनएच ने फिर से 3.56 करोड़ की जरूरत बताते हुए इसका प्रस्ताव शासन में भेजा जो फाइल में धूल फांक रहा है। एनएच और शासन की लेटलतीफी से बहुप्रतीक्षित बाईपास का निर्माण लटका है और बड़ी आबादी इसका इंतजार कर रही है।
बाईपास के निर्माण के लिए एनएच ने 3.56 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन में भेजा है। इस बाईपास पर 18 मीटर लंबे पुल का भी निर्माण होना है। इसके लिए एनएच को 3.9 करोड़ रुपये की जरूरत है। दो साल बाद न तो बाईपास के लिए बजट जारी हुआ है और न ही पुल के लिए। ऐसे में इस बाईपास के जल्द अस्तित्व में आने की उम्मीद कम है।
पिथौरागढ़, बागेश्वर सहित अन्य हिस्सों से हल्द्वानी को आवाजाही करने वाले वाहन अल्मोड़ा नगर की संकरी सड़कों से गुजरते हैं तो आए दिन जाम की स्थिति पैदा हो रही है। पर्यटक भी आए दिन जाम में फंसने से परेशान हो रहे हैं। नगर में वाहनों का दबाव कम कर जाम से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से इस बाईपास का निर्माण शुरू किया गया था, जो अंजाम तक नहीं पहुंच रहा है।