ऋषिकेश: देवभूमि उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश एक पावन तीर्थ स्थल है. हजारों की संख्या में लोग यहां मंदिरों के दर्शन करने आते हैं. ऋषिकेश में कई सारे मंदिर हैं. हर मंदिर का अपना इतिहास और अपना महत्व है. उन्हीं में से एक है ऋषिकेश का मां भद्रकाली मंदिर. इस मंदिर को सिद्ध पीठ माना गया है. साथ ही इस मंदिर का भी अपना एक रोचक इतिहास है.
यह मंदिर मां भद्रकाली को समर्पित है. इस मंदिर के कारण ही क्षेत्र को भी भद्रकाली क्षेत्र के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर सभी के बीच काफी लोकप्रिय है. दर्शन करने आने वाले सभी भक्त इस मंदिर में मां भद्रकाली को रोट और नारियल का प्रसाद चढ़ाते हैं. पुराणों के अनुसार जब दुनिया भर में रक्तबीज का कहर फैल रहा था. जो भी उसे मारने आता उसके गिरे हुए खून की बूंद से एक और रक्तबीज पैदा हो जाता. उसे रोकने के लिए मां पार्वती ने भद्रकाली का अवतार लिया. मां भद्रकाली भयंकर क्रोध में रक्तबीज का वध करने यहां पहुंचीं. और इसी स्थान पर उन्होंने रक्तबीज दानव का वध किया. तभी से इस स्थान को भद्रकाली के नाम से जाना जाता है.
वैसे तो रोज ही श्रद्धालु इस मंदिर में मां के दर्शन करने आते है. लेकिन रविवार को विशेष रूप से यहां भीड़ देखने को मिलती है. वे बताते है कि रविवार को मां का डोला देखने को मिलता है, डोले के रूप में मां प्रकट होती हैं और सभी भक्तजनों को आशीर्वाद देती है. इसी कारण रविवार के दिन सभी भक्त नारियल लेकर प्रातः 10 बजे से मां की शरण में आ जाते है. अगर आप भी ऋषिकेश घूमने आए हुए हैं तो भद्रकाली में स्थित मां भद्रकाली मंदिर के दर्शन करना ना भूलें. यह मंदिर प्रातःकाल 4 बजे खुलता है और रात में 9 बजे इस मंदिर के कपाट बंद हो जाते हैं.