देहरादून। भीमताल एक बेहद खूबसूरत ताल है। यह उत्तराखंड का सबसे बड़ा ताल माना जाता है। माना जाता है कि पांडू पुत्र भीम ने जमीन खोदकर इस ताल का निर्माण किया था। यहां पास ही भीमेश्वर महादेव का मंदिर भी है। इसमें से एक धारा निकल कर ‘गॉला’ नदी में मिलती है।
यह समुद्र तल से 1370 मीटर की ऊँचाई पर है। ऐसा माना जाता है कि वनवास के दौरान भीम यहाँ पर रुके थे। भीमताल झील की लम्बाई 1700 मीटर से ज्यादा है, और चैडाई 450 मीटर से भी ज्यादा, गहराई इसकी 18 मीटर के करीब है। यह ताल नैनीताल जिले में स्थित है।
भीमताल एक त्रिभुजाकर झील है। इस स्थान से गौला नदी निकलती है जो कि आगे हल्द्वानी से बहते हुए रामगंगा नदी में मिल जाती है। नैनीताल की खोज होने से पहले भीमताल को ही लोग महत्व देते थे। यह ताल ‘भीमकार’ है। यह माना जाता है कि भीमताल झील के किनारे स्थित शिव मंदिर “भीमेश्वर मंदिर” है। इस मंदिर का निर्माण तब हुआ था जब वनवास के समय पांडवों में से भीम ने इस स्थान का दौरा किया था। आज भी यह मन्दिर भीमेश्वर महादेव के मन्दिर के रुप में जाना और पूजा जाता है। इस ताल की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह सुंदर घाटी में और खिले हुए आँचल में स्थित है। इस ताल के बीच में स्थित टापू भीमताल ईश एक्वेरियम के रूप में इस्तेमाल होता है, जिससे इस ताल की शोभा अत्यधिक बढ़ जाती है। नावों से टापू में पहुँचने का प्रबंध है। टापू में पहुँचते ही समुंद्र एवम् झील की विभिन्न प्रजाति की मछलियां यहाँ देखने को मिलती हैं। पर्यटन विभाग की ओर से यहां 34 शैय्याओं वाला आवास-गृह बनाया गया है। यहाँ पर रहने खाने की बेहतरीन व्यवस्था है।
भीमताल झील के पास स्थित विक्टोरिया बांध यहां के चुनिंदा खास आकर्षणों में गिना जाता है। यह स्थल सैलानियों के शांति और आराम का अनुभव कराता है, इसलिए यहां सैलानी आना पसंद करते हैं। यह एक इको फ्रेंडली जगह है जो अपने फूलों के बागानों के लिए काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। हरे-भरे परिदृश्य के साथ यह स्थल काफी हद तक पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने का काम करता है। यहां सुकून भरी चहलकदमी का आनंद लिया जा सकता है। भीमताल की सैर के दौरान इस बांध का भ्रमण एक आदर्श विकल्प है। भीमेश्वर महादेव मंदिर के बारे में पौराणिक किवदंतियों के अनुसार कभी इस स्थल पर महाभारत के बलशाली पात्र भीम का आगमन हुआ था, कहा जाता है कि जब भीम यहां पहाड़ों पर चढ़ रहे थो तो तभी उन्हें आकाशवाणी सुनाई दी, उसमें भीम से कहा गया कि अगर वो चाहते हैं कि आगे आने वाली पीढ़ी उन्हें जन्मों तक याद रखे तो उसे यहां एक शिव मंदिर का निर्माण करना पड़ेगा। शिवभक्त भीम ने तब जाकर यहां एक शिव मंदिर का निमार्ण किया। इसलिए यहां महादेव के साथ भीम का भी नाम आता है।