अल्मोड़ा। कुमाऊं के प्रमुख एसएसजे विश्वविद्यालय में शौचालय बदहाल हैं। महिला शौचालय या तो गंदगी से पटे हैं या उनके दरवाजे टूटे हैं। बेटियों को होने वाली दिक्कतों से किसी को सरोकार नहीं है। एसएसजे कैंपस को दो साल पहले विश्वविद्यालय का दर्जा मिला।
उम्मीद थी कि यहां मूलभूत समस्याओं का भी समाधान होगा लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। बदहाल शौचालय ठीक नहीं हो पाए। बेटियों के लिए बने शौचालयों के हाल तो बहुत खराब हैं। एक हजार से अधिक बेटियों की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
एसएसजे विवि में छात्रों के लिए बने शौचालय गंदगी से पटे हैं। इनके पाइप जगह-जगह लीकेज हैं, जिससे सीवर कैंप के विभिन्न स्थानों पर बह रहा है। इससे आवाजाही में दिक्कत हो रही है।
एसएसजे विवि में तीन हजार से अधिक छात्र पढ़ते हैं। लेकिन उन्हें पीने का शुद्ध पानी भी नसीब नहीं हो रहा है। कुछ समय पूर्व यहां लगा एक्वागार्ड शॉर्ट सर्किट से जल गया था, जिसे अब तक ठीक नहीं किया जा सका है।
शौचालयों की सफाई की जिम्मेदारी संकाय अध्यक्षों की है। नियमित रूप से शौचालयों की सफाई होनी चाहिए। जल्द इसके निर्देश जारी किए जाएंगे, ताकि छात्रों को दिक्कत न झेलनी पड़ी।
- – प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट, निदेशक एसएसजे विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा
शौचालयों की स्थिति बेहद खराब है। सभी शौचालय गंदगी से पटे हैं। ऐसे में छात्रों को दिक्कत झेलनी पड़ रही है। -हर्षित आर्यन।
छात्राओं के लिए बने शौचालयों की हालत दयनीय है। इनके दरवाजे टूटे हैं, जिससे दिक्कत झेलनी पड़ रही है।
- मनीषा कांडपाल।