गदरपुर। एनएचएआई और कार्यदायी संस्था के मना करने के बाद भी विधायक अरविंद पांडेय और उनके समर्थकों ने बाईपास को जबरन खुलवाया तो बड़ा हादसा हो गया। आवाजाही शुरू कराने के करीब डेढ़ घंटे बाद ही ट्रक की चपेट में आकर बाइक सवार की जान चली गई। एनएचएआई ने दोबारा बाईपास को बंद करा दिया है।
शनिवार शाम करीब छह बजे विधायक अरविंद पांडेय ने अपने समर्थकों के साथ चीनी मिल के सामने एनएच-74 पर पहुंचे। उन्होंने वहां बाईपास पर लगाए गए अवरोधक हटाकर टू-लेन पर वाहनों की आवाजाही शुरू करा दी। बाईपास पर वाहनों की आवाजाही शुरू होने की खबरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं तो प्रशासनिक अमले में भी खलबली मच गई।
एसपी काशीपुर अभय प्रताप सिंह, सीओ भूपेंद्र सिंह भंडारी और थानाध्यक्ष राजेश पांडेय पुलिस फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए। उन्होंने एनएचएआई और कार्यदायी संस्था गल्फार की ओर से सुरक्षा कारणों का हवाला दिया। कहा कि इसमें सेफ्टी रिपोर्ट आने के बाद ही मार्ग खोले जाने की बात कही गई है लेकिन विधायक ने कहा कि जनहित में बाईपास को खोला जाना जरूरी है।
विधायक अरंविद पांडेय का यह भी कहना था कि एनएचएआई और कार्यदायी संस्था गल्फार के अधिकारी जानबूझकर देरी कर रहे हैं जबकि बाईपास का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। उनका यह भी आरोप था कि बाईपास के निर्माण में गुणवत्ता को लेकर कई अनियमितताएं हैं जिससे बचने के लिए कार्यदायी संस्था अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रही है।
विधायक पांडेय के मौके से चले जाने के बाद करीब 7:30 बजे अधिकारी यातायात की व्यवस्था को सुचारु बना ही रहे थे कि सरस्वती इंस्टीट्यूट के सामने भूसे से भरे ट्रक की चपेट में आकर ग्राम बरा खेड़ा निवासी बाइक सवार सुरेंद्र कुमार पुत्र उम्मेद सिंह गंभीर रूप से घायल हो गया। पुलिसकर्मियों ने सुरेंद्र को ट्रक के नीचे से निकालकर जिला अस्पताल पहुंचाया। जहां से हल्द्वानी रेफर कर दिया गया लेकिन रास्ते में उसने दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि सुरेंद्र सिडकुल की एक कंपनी में सुपरवाइजर था। हादसे के बाद पुलिस ने एनएचएआई के अधिकारियों से वार्ता की और बाईपास पर अवरोधक लगाकर आवाजाही बंद करा दी।
दो दिन पहले विधायक अरविंद पांडेय ने एनएचएआई के अधिकारियों को 10 दिसंबर तक बाईपास को यातायात के लिए नहीं खोलने पर खुद ही बाईपास शुरू कराने की चेतावनी दी थी। तब एनएचएआई के परियोजना निदेशक योगेंद्र शर्मा ने इंडिपेंडेंट एजेंसी की सेफ्टी जांच रिपोर्ट आने के बाद ही बाईपास को यातायात के लिए खोले जाने की बात कही थी। परियोजना निदेशक ने स्पष्ट भी किया था कि यदि बिना जांच रिपोर्ट के जबरन बाईपास को खोला जाता है तो कोई अनहोनी होने पर इसके लिए संबंधित लोग ही जिम्मेदार होंगे।