कंपनियों के ये तीन सटीक बहाने
- मौसम खराब है
- वीआईपी मूवमेंट हो रहा है
- हेलीकॉप्टर का हॉल्ट भी कराना है
गुप्तकाशी। बाबा केदारनाथ का धन्यवाद कि मैं उस उड़ान में नहीं था। मेरे हेलीकॉप्टर ने बेल कंपनी के इस दुर्घाटनाग्रस्त हेलीकाप्टर से कोई ढाई घंटा पहले गुप्तकाशी के लिए उड़ान भरी थी। कोई 15 मिनट की ये दिल दहला देने वाली यात्रा थी। सुबह मौसम साफ था। सूरज चमक रहा था। दो विशालकाय पहाड़ों के बीच से कई बार हेलीकॉप्टर का गुजराना दिल दहला देने वाला अनुभव था। ऊपर नीला साफ आसमान और नीचे गहरी खाई को देख मैंने कई बार अपनी आंखें बंद कर ली थीं। लेकिन केदार घाटी में इससे भी कहीं डरावनी व्यवस्था हेली टैक्सी सेवा की है।
बाबा केदार के ‘शार्टकट दर्शन’ कराने वाली इस कामर्शियल आपाधापी में इन हवाई कंपनियों को न श्रद्धालुओं की सुविधाओं की परवाह है न उनकी जान की। हवाई सेवाओं के कुप्रबंधन ने केदारधाम की यात्रा को न सिर्फ परेशानियों से भरा बल्कि बेहद असुरक्षित बना दिया है। कंपनियों की व्यावसायिक भूख इस कदर बढ़ रही है कि उन्हें सिर्फ कमाई की फिक्र है, सुविधाओं की नहीं।
एक आम यात्री के लिए केदारनाथ हवाई यात्रा का टिकट प्राप्त करना किसी जंग जीतने के बराबर है। गुप्तकाशी से 19 किमी दूर फाटा में स्थित गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) की टिकट खिड़की पर सुबह सात बजे से उमड़ी भीड़ को देखकर समझा जा सकता है कि टिकट की जंग कितनी भीषण है। ऑनलाइन से या प्रोटोकॉल या किसी अन्य प्रयास से आपने यदि हेली सेवा का टिकट प्राप्त कर लिया है तो यह तय समय पर यात्रा की गारंटी बिल्कुल भी नहीं है। मुझे 9-12 बजे का स्लॉट मिला और मैं करीब पौने चार बजे केदारनाथ पहुंचा।
ज्यादातर हेली कंपनियों के हेलीपेड पर टिकट लेकर पहुंचने वाले यात्रियों को घंटों इंतजार कराया जाता है। लेकिन इस दौरान कोई उन्हें बताने वाला नहीं होता कि यात्रा के दौरान उन्हें किन-किन सावधानियों का ख्याल रखना है। जब उन्हें हेलीकॉप्टर में ठूंसा जाता है तो उससे चंद मिनट पहले ट्रैफिक कंट्रोल से जुड़ा स्टाफ उन्हें बताता है कि उन्हें कहां खड़ा होना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ के पुनर्निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए। लेकिन हेली सेवाओं के लिए एक टर्मिनल तक नहीं बनाया जा सका। हाड़ कंपा देने वाली ठंड में यात्रियों को अपनी बारी का इंतजार करते यहां देखा जा सकता है। खुले में जब बारिश और बर्फबारी होती है तो दुश्वारियों और भीषण हो जाती हैं।