पूरे प्रदेश में अब सभी रिजार्ट में चल रही गतिविधियों की जांच की जाएगी। इसके लिए थाने से एक अधिकारी और एलआईयू की टीमों को लगाया गया है। डीजीपी ने एक सप्ताह के अंदर जांच रिपोर्ट को मांगी है। संदिग्ध गतिविधियों वाले रिजार्ट और गेस्ट हाउस संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
देहरादून। उत्तराखंड की शांत वादियों में बने रिजॉर्ट डर्टी गेम का अड्डा बनते जा रहे हैं। कहीं कसीनो चल रहा है तो कहीं अपराधी पनाह ले रहे हैं। किसी बड़ी घटना के बाद अगर पुलिस प्रशासन कार्रवाई न करे तो इनकी यह काली सच्चाई किसी के सामने न आ पाए। उत्तराखंड राज्य में अवैध कसीनो का खेल इसी तरह के एक रिजॉर्ट में खेला जा रहा था। यहां से 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनके एक गिरोह को बाद में मेरठ पुलिस ने भी वहां के एक रिजॉर्ट से ही पकड़ा था।
15 जून 2022 की रात में सहसपुर पुलिस और एसटीएफ की टीम सहसपुर क्षेत्र के संजीवनी रिजॉर्ट में पहुंची थी। यहां पर 15 लड़कियां और 25 युवक पार्टी कर रहे थे। पुलिस ने पूछताछ की तो कुछ लोग भागने की कोशिश करने लगे। इस बीच दूसरे कमरे में जाकर देखा तो वहां पर कसीनो की टेबल सजी थी। महंगी-महंगी शराब की बोतलें और लाखों रुपये मेज पर रखे हुए थे। पुलिस ने इन 15 लड़कियों को वहां से मुक्त कराने के बाद इन 25 लोगों को जुआ अधिनियम के तहत गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस पड़ताल में पता चला कि इस रिजॉर्ट पर कुछ अधिकारियों की इनायत भी थी। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के बहुत से पूर्व और वर्तमान अधिकारी भी यहां आकर रुकते और पार्टियां करते थे। पता चला कि इस रिजॉर्ट में एक पूर्व सिविल सेवा अधिकारी की साझेदार भी है। उत्तराखंड में पहली बार कसीनो पकड़ा गया था। बाद में पता चला कि यह कसीनो सिर्फ संजीवनी में ही नहीं बल्कि आसपास के कई रिजॉर्ट में चलता था। ये लोग रिजॉर्ट बदल-बदलकर पार्टियां करते थे।
उत्तराखंड में जुए की इस संस्कृति को जन्म देने वाले इस खेल का पुलिस ने राजफाश तो कर दिया, लेकिन अब भी कई ऐसी जगहे हैं जहां से पुलिस प्रशासन को शिकायतें मिलती रहती हैं। मगर, चंद रसूखदारों की मिलीभगत के चलते ये खेल कभी सामने नहीं आ पाते हैं। हालांकि, अंकिता की मौत के बाद अब पुलिस प्रशासन की आंखें खुल गई हैं और वह ऐसे सभी रिजॉर्ट की कुंडली खंगाल रही है।
ये भी होंगी जांच
रिजार्ट या गेस्ट हाउस के साथ कोई विवाद तो नहीं है, महिला स्टाफ से उनके रुटीन की पूरी जानकारी ली जाएगी, रिजार्ट में किसी अपराधी का तो हिस्सा नहीं, रिजार्ट या गेस्ट हाउस किसी की जमीन पर अतिक्रमण कर तो नहीं बनाया गया, जंगलात या अन्य विभागों से एनओसी आदि की प्रक्रिया पूरी की गई या नहीं, इनके बाहर और अंदर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं या नहीं। लगे हैं तो ठीक हैं या नहीं।
पुलिस ने 11 सितंबर 2017 को लालतप्पड़ स्थित एक अस्पताल में अवैध रूप से किडनी निकालने के धंधे का भंडाफोड़ किया था। पुलिस ने पड़ताल की तो पता चला कि इसके पांच आरोपी पास में ही एक रिजॉर्ट को किराए पर लेकर रह रहे थे। सभी लोग इन्हें पर्यटक समझते थे और कोई इन पर शक भी नहीं करता था। यहां रुकने से पहले इनकी रिजॉर्ट संचालकों ने कोई पड़ताल भी नहीं की थी।
अब हर जिले में रिजार्ट की गतिविधियां जांचेगी पुलिस
अंकिता की हत्या के बाद सुनसान इलाके में बने इस रिजार्ट की हकीकत भी सामने आ गई। अंकिता इसी हकीकत को अपने दोस्त के माध्यम से लोगों के सामने लाना चाहती थी। जीते जी तो अंकिता ऐसा न कर सकी, मगर उसकी मौत ने हर किसी को सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि इन जगहों पर ऐसे काम भी हो सकते हैं। इस कांड के बाद प्रशासन की आंखें भी खुल गईं हैं। डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि जंगलों और शहर के आसपास बने रिजार्ट या गेस्ट हाउस की जांच के लिए टीमें गठित की गईं हैं। इसके लिए सभी पुलिस अफसरों को निर्देश दिए गए हैं।
सबसे पहले वहां की महिला कर्मचारियों से बात की जाएगी, ताकि यदि उनसे कोई गलत काम कराया जाता है, तो इसकी जानकारी मिल सके। यदि कहीं भी ऐसा होता मिला तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। शासन की अनुमति से इन रिजार्ट व गेस्ट हाउस का हाल भी वनंतरा जैसा ही किया जा सकता है। इसके लिए रजिस्ट्री कार्यालयों और तहसीलों में भी पड़ताल की जाएगी। रिपोर्ट को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाकर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।