एसटीएफ के अनुसार, केंद्रपाल वर्ष 1996 में टेंपो चलाता था। कुछ वर्षों तक उसने रेडिमेड कपड़ों की दुकान भी चलाई। इसके बाद कपड़ों की सप्लाई करने लगा। वर्ष 2011 में प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल कराने वाले गिरोह से जुड़ गया। उसके हाकम सिंह रावत, चंदन मनराल आदि से संपर्क हो गए।
देहरादून। धामपुर के केंद्रपाल की गिनती पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बड़े नकल माफिया में होती है। उसने महज 10 वर्षों में नकल गिरोह से जुड़कर करोड़ों की संपत्ति जुटा ली। धामपुर में तो उसकी करोड़ों की जमीनें हैं ही, वह सांकरी में हाकम के रिजॉर्ट में पार्टनर भी है। चंदन मनराल का भी वह पुराना जानकार है। एसटीएफ उसके बारे में अन्य जानकारियां भी जुटा रही है।
इस दरम्यान उसने हाकम सिंह के साथ मिलकर सैकड़ों युवाओं को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल कराई और करोड़ों रुपये जुटाए। केंद्रपाल उन लोगों के संपर्क में भी रहता था, जिन्होंने पेपर मुहैया कराए हैं। एसटीएफ अब इन लोगों से भी पूछताछ करेगी। आरोपियों को गिरफ्तार भी किया जा सकता है। इसके साथ ही एसटीएफ ने धामपुर में एक शिक्षक को हिरासत में लेकर भी पूछताछ की है।
न्यायालय ने उसकी जमानत मंजूर कर दी। बिजनौर जेल में जमानत के कागज पहुंचे तो उसे कुछ देर बाद रिहा कर दिया गया।
बता दें कि हाल ही में गिरफ्तारी से बचने के लिए केंद्रपाल ने सरेंडर कर दिया था। लेकिन जमानत पर बाहर आते ही वह शुक्रवार को नाटकीय ढंग से एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया। एसटीएफ ने उसे बिजनौर जिला जेल के बाहर से ही गिरफ्तार कर लिया। वह हाकम सिंह और अन्य आरोपियों के संपर्क में था। साथ ही धामपुर में नकल सेंटर चलाने में उसका अहम हाथ बताया जा रहा है। कुछ दिन पहले जब हाकम से पूछताछ हुई तो केंद्रपाल नाम के व्यक्ति का नाम सामने आया था।
कई दौर की पूछताछ में केंद्रपाल भी जांच के केंद्र में आने लगा था। एसटीएफ ने जब दबिश दी तो पता चला कि उसने साधारण से मारपीट के मामले में जमानत तुड़वाई और बिजनौर कोर्ट में सरेंडर कर दिया। कोर्ट ने उसे न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया। इस मामले में एसटीएफ उससे पूछताछ करना चाहती थी। नियमानुसार जेल में बंद होने के कारण उससे पूछताछ नहीं हो सकी। ऐसे में एसटीएफ को इंतजार था कि वह जमानत पर बाहर आए तो उसे गिरफ्तार किया जाए। बताया जा रहा है कि एसटीएफ ने खुद ही उसकी जमानत कराने की योजना बनाई।