
देहरादून | हरिद्वार वन प्रभाग में चार दिनों के भीतर दो हाथियों की मौत ने वन विभाग को सतर्क कर दिया है। इन घटनाओं ने न केवल वन्यजीवों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि मानव और हाथियों के बीच बढ़ते संघर्ष की गंभीरता को भी उजागर किया है।
पहली घटना 26 सितंबर को खानपुर रेंज के रसूलपुर बीट क्षेत्र में सामने आई, जहां एक हाथी मृत अवस्था में मिला। यह इलाका वन और राजस्व विभाग की सीमा पर स्थित है। मौके पर जांच करने के बाद भी मौत का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया। वन विभाग ने मृत हाथी के सैंपल आईवीआरआई बरेली और भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून भेजे हैं ताकि वैज्ञानिक जांच के आधार पर वास्तविक कारण का पता लगाया जा सके। इसके अलावा पानी के नमूने भी आसपास के क्षेत्रों से लिए गए हैं ताकि यह देखा जा सके कि कहीं किसी प्रकार का विष या अन्य रासायनिक कारण तो मौत की वजह नहीं बना।
दूसरी घटना 29 सितंबर को शाह मंसूर बीट में हुई, जहां एक हाथी खेत के भीतर मृत पाया गया। जांच में स्पष्ट हुआ कि खेत में अवैध इलेक्ट्रिक फेंसिंग (करंट युक्त तारबाड़) लगाई गई थी और उसी के संपर्क में आने से हाथी की मौत हो गई। इस मामले में खेत मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
इन घटनाओं के बाद वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई की घोषणा की है। विभाग ने कहा है कि जंगल से सटे इलाकों में लगाए गए अवैध करंट युक्त तारों को हटाने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। मामले की गहन जांच की जिम्मेदारी एसडीओ स्तर के अधिकारी को सौंपी गई है ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।
डीएफओ स्वप्निल अनिरुद्ध ने बताया कि पहले मामले में मौत का कारण अब तक स्पष्ट नहीं है और वैज्ञानिक जांच की प्रतीक्षा की जा रही है। वहीं दूसरे मामले में करंट से मौत की पुष्टि हो चुकी है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि बड़े पैमाने पर अवैध बिजली फेंसिंग खेतों में पाई गई है, जिसे तुरंत हटाने का काम शुरू किया जाएगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि मानव-हाथी संघर्ष उत्तराखंड के तराई क्षेत्रों में लगातार गंभीर होता जा रहा है। हाथी जंगल से निकलकर खेतों की ओर रुख करते हैं और वहां करंटयुक्त तारों या अन्य अवैध उपायों से उनकी जान पर खतरा बढ़ जाता है। यदि समय रहते इस समस्या पर ठोस और सख्त कदम नहीं उठाए गए तो यह न केवल हाथियों के संरक्षण बल्कि संपूर्ण वन्यजीव प्रबंधन के लिए गंभीर चुनौती साबित हो सकती है।